नगर निगमों की माया निराली॥शीषर्क में की थी मैंने जुगाली। उसमें आपने प्रतिक्रिया डाली, जो करती खालिस घरवाली। अब मैं भड़ासी बनके रहूंगा, सबके बीच में तनके रहूंगा। आप भड़ास के बड़े खिलाड़ी, मैं हूं बालक निरा अनाड़ी। तुम मुझे सराहो, मैं तुम्हें सराहूं, चाहे जितना बेसुरा गाऊं। संग कमेंट निज E- मेल भेजना,फिर भड़ास का तेल देखना।
डॉ. भानु प्रताप सिंह, आगरा।
भानु प्रताप जी,
ReplyDeleteतेल तो आप निकालेंगे ही एसा तो आपके पहले पोस्ट से ही पता लग गया, और हाँ
ये आभार देकर हम पर भार ना डालिए, खालिस तेल अचार में डालिए.
अपनी तुकबंदी से सब का महिमा मंडन कीजिये, अनाडी को खिलाडी में बदल दीजिये.
जय जय भड़ास
भानु भइया की जय हो.....
ReplyDeleteपेले रहिये इसी तरह....
आप कितने भी बेसुरा गाएं श्रोता भी गायन की समझ रखने वाले नहीं हैं.... धकेले रहिये...
जय हो जय हो भानु भाई
ReplyDeleteआपके चलते रौनक आई
पेले रहिए दिल की भड़ास
हम सबने अलख है जगाई....
जय भड़ास
यशवंत
भाई यशवंत जी, डॉ. रूपेश जी, रजनीश जी
ReplyDeleteनमस्कार पेल रहा हूं, स्वीकार करें, भड़ासियों के हाथों में खेल रहा हूं, स्वीकार करें। भड़ास ने आप जैसे नुक्ताचीनियों से मिलाया है, रेगिस्तान में गेंदे का फूल खिलाया है। मैं ब्लॉग्स के जंगल में भटक रहा हूं संभालो मुझे, भड़ास पर ही सही, गले से लगा लो मुझे। इलेक्ट्रानिक मिलन की बधाई, मुबारक हो यशवंत जी की खुदाई।
जय भड़ासियो
डॉ. भानु प्रताप सिंह, आगरा
aapki yeh pratibha bhi himse chhipi nahin hai kavivar
ReplyDeletewelcome bhanu
ReplyDeletebhanu ji aap bade prabhavsali vyangkar hain.main aap se gujarish karunga ki aap apne vyang akhbaro mein bhi bhejiye
ReplyDeleteभानु भाई
ReplyDeleteआपकी प्रतिभा का तो मैं पहले से कायल रहा हूं लेकिन भड़ास पर आपका नया रुप आपकी प्रतिभा को और ऊंचाईयां प्रदान करता है। हमें तो आपमें बस अच्छा ही अच्छा नजर आता है। इसलिए हम तो इतना ही कहेंगे-
लगे रहो भानु भाई
भानु भाई
ReplyDeleteआपकी प्रतिभा का तो मैं पहले से कायल रहा हूं लेकिन भड़ास पर आपका नया रुप आपकी प्रतिभा को और ऊंचाईयां प्रदान करता है। हमें तो आपमें बस अच्छा ही अच्छा नजर आता है। इसलिए हम तो इतना ही कहेंगे-
लगे रहो भानु भाई