एक अनोखा एहसास सा क्यों है.......
आओगी तुम पास मेरे यह आस क्यों है.....
न मिलोगी कभी भी तुम मुझे यह जानता हू ....
लेकिन फिर भी यह तलाश क्यों है.......
न जाने क्यों हर वक्त चाहता है आपका साथ यह मन.........
जानते ही यह मुमकिन नही, फिर भी क्यों बेकरार है यह मन........
चाहते है आपसे बस थोड़ा सा प्यार.....
उसके लिए भी यह लंबा इंतज़ार क्यों है......
छमा चाहता हू सभी से... कोई लेखक या कवि नही हू मै.. बस मन में जो भाव आए उन्हें शब्द दे दिए.. इसे कविता का अपमान न समझियेगा :-)
आओगी तुम पास मेरे यह आस क्यों है.....
न मिलोगी कभी भी तुम मुझे यह जानता हू ....
लेकिन फिर भी यह तलाश क्यों है.......
न जाने क्यों हर वक्त चाहता है आपका साथ यह मन.........
जानते ही यह मुमकिन नही, फिर भी क्यों बेकरार है यह मन........
चाहते है आपसे बस थोड़ा सा प्यार.....
उसके लिए भी यह लंबा इंतज़ार क्यों है......
छमा चाहता हू सभी से... कोई लेखक या कवि नही हू मै.. बस मन में जो भाव आए उन्हें शब्द दे दिए.. इसे कविता का अपमान न समझियेगा :-)
very cool.
ReplyDeleteSir,
ReplyDeleteKavita vais bhi sirf ek aahsas ke alawa kuchh bhi nahi hai. yahan baat aapki bhavna samjhne ki hai to bhawnay aapki kafi achhi hai.
Sir,
ReplyDeleteKavita vais bhi sirf ek aahsas ke alawa kuchh bhi nahi hai. yahan baat aapki bhavna samjhne ki hai to bhawnay aapki kafi achhi hai.
चाहते है आपसे बस थोड़ा सा प्यार.....
ReplyDeleteउसके लिए भी यह लंबा इंतज़ार क्यों है......
बहुत अच्छा ......कौन कहेगा कि आप कवि या लेखक नहीं है....... बस कला को और निखारने की जरूरत है।
भाई,प्रयास करके कवि बनने की जरूरत नही है आप कवि हैं और आपके भाव ही कविता का आधार हैं ,अभिव्यक्ति कविता का मूर्त रूप...
ReplyDeleteबहुत सुंदर है... जारी रहिये
वाह वाह,
ReplyDeleteबहुत दिनों से भड़ास पर कविता बंद सी हो गयी थी, लोग शायद पंडित जी को भूलने से लगे होंगे, आपका आगाज शानदार है, अभिव्यक्ति को शब्द रूप देते रहें,
शुभकामना
sabhi ka hriday se dhanyawaad
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