कल पिंटू से मुलाकात हुई । वैसे वह कोई बड़ी शख्सीयत तो नही जिसकी चर्चा की जाय, लेकिन वह आजकल परेशान है। कुछ माह पहले पिंटू एक अखबार में फोटोग्राफर का काम कर रहा था। रांची में जब दूसरा नया अखबार लांच हुआ तो अपने बेहतर भविष्य के सपनो के साथ वहां चला गया। लेकिन पुराने प्रबंधन ने उसकी मेहनताना के ५००० रुपए नही दिए। पिंटू ने चारा घोटाले में गिरफ्तार एक अपराधी की तस्बीर छापी थी जब वह आरोपी कोर्ट परिसर में छूटे घूम रहा था। खुश होकर अख़बार प्रबंधन ने इनाम की घोषणा की लेकिन वह राशि भी अभी तक नहीं दी गई।
इस अखबार के प्रबंधन से गुजारिश है किसी के मेहनत के पैसे ना रोके। आप के लिए ५००० रुपए बहुत कम हैं। पर छोटे कर्मचारिओं के लिए वह रोटी का माध्यम है।
well!!this is not the first incident happened with ur frnd....it's the result wt u did wth ur best for the organisation...after all don't be forget we are working in a business factory which now,converted into the face of media... i know the pain,coz i also suffered from that path,where i hanged continously five months....it,s a hard earn money how can i forget...So,my personal request from ''The newspaper of revoulanetry'' forgive the child who has done mistake that switch over his job...
ReplyDeletepintu ke saath jo hua wo kafi dukhad hai baat 5000 rs. ki nahi baat prabhat khabar jaise akhbar ke pratishta ki hai. akhbar ko turat karwai karte huae pintu ko uska uchet mehanatana dena chahiyea aur paata lagana chahiyea ki uske paise kisne roke Hain mujhe prabhat khabar par pura bharosa hai.
ReplyDeletemai bhi prabhat khabar mai kafi din kam kiya. prabhat khabar ko ager koi chala raha hai too o hai hariwans jee. unki baat he logo se kam karati hai. mager kuch tuche tipe log sansthan ko badnaam karte rahaty hai. aise log her jagaha mil jate hai. aise logo kai khilaf hariwans jee ko kathor kadum uthana caheyae. jab mai prabhat khabar mai tha too maire sath bhi yaisa he hua tha. mager mai kisi se kuch nahe kaha.
ReplyDeleteअरे हरि भइया काहे चमचों के घेरे में फंस कर अच्छे लोग गंवाए दे रहे हैं,हमरे पिंटुआ केर पइसवा दिआय देओ...
ReplyDeleteडॉक्टर साहब,
ReplyDeleteलाला लोगों की मजबूरी का फायदा उठाना जानते हैं. और गरीब की गरीबी इनके लिए मजाक से ज्यादा नही, वैसे भी पत्रकारिता के समंदर का ये कला और कड़वा सच है, आज प्रभात ख़बर की बात लोगों ने बता दी है बाकी जगह की नही बताते हैं. हम भडासी तो जुबान ही देंगे की खोलो इन चोर उचक्के लालाओं की पोल.
जय जय भड़ास