4.8.08

भड़ास यूँ ही

सभी भडासीजनों को नमस्कार,
भड़ास यूँ ही निकले तो सही लगती है,
न गोली चलती है न किसी मौत देती है,
कौन फाडेगा, किसकी फटेगी ये समय बताएगा,
हम सबको क्यों एक-दूजे की फाड़ने की लगी रहती है?
पोस्ट पढने, टिप्पणी करने पर सबको धन्यवाद क्योंकि यही कुछ और लिखने की प्रेरणा देती है.

5 comments:

  1. मैं आप की भड़ास को समझ सकता हूँ ..और इसे दूर भी करना चाहता हूँ ...टिप्पणी से ..

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  2. मैं आप की भडास दूर कर सकता हूँ ..टिप्पणी से ..

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  3. अनवर भाई,भड़ास दूर मत करिये निकालने दीजिये उल्टी कर लेने दीजिये अगर अंदर रह गई तो डा.सेंगर बीमार हो जाएंगे,उल्टी का परीक्षण करके अंदरूनी बीमारी के कारण का पता चल जाता है....
    यहां कोई किसी की फाड़ने पर नहीं तुला है बल्कि जिनकी फट चुकी है उनकी हम भड़ासी मिल कर रिपेयर करते हैं शायद आपने मुनव्वर आपा और मनीषा दीदी की बातों को अन्यथा ले लिया। जनाब! ये दोनो तो वो शख्सियतें हैं जिन्होंने भड़ास को पूर्णतया लोकतांत्रिक बनाए रखने में हमेशा सहकार्य करा है आप चाहें तो इन दोनो के बारे में पुरानी पोस्ट्स से इनके स्वभाव और बड़प्पन को जान पाएंगे।
    जय जय भड़ास

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  4. अनवर भाई,धुंधले से "अस्क" हो या "अक़्स"? कुछ समझ में नहीं आया.... उर्दू/अरबी टीचर हूं तो सीखने की चाहत जो हमेशा रही है वह इस शब्द तक खींच ले गयी। मेहरबानी करके अर्थ बताइयेगा।

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  5. अररर गुरुदेव भडासी का भाडा अगर कोई रोकना चाहे तो क्या कहेंगे. भाई रोकिये टोकिए नही बल्की अपनी भी उगलिए.
    जय जय भड़ास

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