8.8.08

विकास की झलक लोकप्रिय भोजपुरी गाने के साथ

बिहार और बिहारियों की बिसात ही ढोल का पोल पर बसी हुई है, समृद्ध इतिहास, क्रन्ति का जनक, क्रन्तिकारी विचारधारा का सूत्रपात करने वाले अब सिर्फ़ और सिर्फ़ गुणगान करके, अपनी सवा प्रशंसा करके अपने आपको स्थापत्य समाज में स्थापित करना चाहते हैं।

घर गया तो ढेर सारी उम्मीद और आशा के साथ, उम्मीद की किरण को हवा दी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाती मीडिया ने और हाथ आया ये छोटा सा सिनेमा।

मेरे मधुबनी स्थित निवास से मेरा गाँव महज ५० किलोमीटर पर है मगर इस दुरी को तय करने में लगे समय पुरे पाँच घंटे। इश्वर की कृपा रही की मैं सही सलामत वापस भी आ गया। मगर मन में ढेरक सवाल की अगर बिहार के रेल में सुधर हुआ तो इसके विकास का श्रेय केन्द्र को या राज्य सरकार को, सडको के जाल के साथ राष्ट्रीय राज मार्ग का कार्य राज्य की उपलब्धी है जिस पर कार्य चल रहा है, वहीँ प्रांतीय राज मार्गों की दशा बाद से बदतर होती जा रही है, सड़क पर पत्थर की बात तो छोरिये सड़क ही नही दिखाई देती है, शुक्रगुजार वहां चालक का जो यात्रियों को गंतव्य जगह तक पहुंचाते हैं और संग ही शुक्रगुजार यहाँ के मृत जनता का भी जो ओछी राजनीति में संलिप्तता में सबसे आगे रहते हैं मगर विकास की बात पर सारे के सारे अपने अपने जेब का विकास चाहते हैं।

आप भी इस क्लिप का आनंद ले सकते हैं क्यूंकि इसमें यात्रा का साथ भोजपुरी संगीत दे रहा है जो आपको कटाई बोर नही होने देगा। और शायद ये संगीत ही है जो बिना विकास के भी भदेश का अपना मजा देता है।

जय जय भड़ास

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