5.9.08
(फ)टीचर्स डे पर हार्दिक दुर्भावना सहित.....
अंग्रेजी दासता का हमारी सभ्यता पर इतना प्रभाव पड़ा है कि हमने उन रिश्तों को और संबंधों को जो कि साल भर जीवंत रहते थे मात्र एक दिन में समेट दिये जैसे मदर्स डे, फैमिली डे, टीचर्स डे.......। अगर गुरू पूर्णिमा को ही विशेष उत्सव मना लें तो हमारी अंग्रेजियत लज्जित होती है इसलिये टीचर्स डे मनाना अनिवार्य हो जाता है क्योंकि अब टीचर और गुरू दो अलग-अलग धंधे माने जाते हैं। आजकल "सेक्स एजुकेशन" का चरचराटा है हर ओर तो मैं तो यही सोच कर उत्साहित हूं कि शायद इस पाठ्यक्रम के आ जाने से सड़क पर खड़ी वेश्याओं को भी रोजगार मिलेगा क्योंकि थ्योरी तो हम जैसे टीचर पढ़ा देंगे लेकिन प्रेक्टिकल्स के लिये तो वेश्याओं को ही लाना होगा वरना एक टीचर और प्रेक्टिकल करने वाले चालीस पचास स्टुडेंट्स...... या खुदा...सोचती हूं कि पुरुष टीचर्स की तो लाटरी निकल आयेगी लेकिन महिला टीचर्स का क्या होगा??? हमारी प्राचीन धरोहर हमसे सम्हालते नहीं बन रही है इस लिये आज की पीढ़ी को हम सचेष्ट कर रहे हैं कि बड़ा बोझा उठाने से अच्छा है कि एक एक दिन में सब रिश्तों को निपटा दिया जाए कौन साल भर की झंझट पाले। इस लिये मेरे प्यारे भारत वासियों(क्षमा करिए सौरी बोलती हूं इंडियन्स बोलना ठीक होगा) अगर आप भी इन्टरनेट पर "आई हेट माई टीचर" या "फ़क द टीचर" जैसी कम्युनिटीज़ के सदस्य हों तो अपने प्यारे टीचर को आज के दिन की शुभेच्छा देकर उसके अच्छे स्वास्थ्य, वेतन, दीर्घायु, सम्मान की कामना करिये।
आप ने सही कहा है. गुरु पूर्णिमा तो इस लिए नहीं मनाई जा सकती कि अब गुरु हैं ही कहाँ. आज कल तो शिबू सोरेन को गुरु कहा जाता है. टीचर्स डे मनाया जाता है क्योंकि हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को टीच कर रहा है और कुछ इस का उल्टा भी कर रहे हैं.
ReplyDeleteWoman for 'The capitalist society 'like its other predecessors of class society, has been just a matter of enjoyment. Till its contradictions are resolved, sex education will make the situation bad to worse.
ReplyDeleteWoman for 'The capitalist society 'like its other predecessors of class society, has been just a matter of enjoyment. Till its contradictions are resolved, sex education will make the situation bad to worse.
ReplyDeleteWoman for 'The capitalist society 'like its other predecessors of class society, has been just a matter of enjoyment. Till its contradictions are resolved, sex education will make the situation bad to worse.
ReplyDeleteapka colam padhkar bahut dukh hua .teacher's day pascime sabhyata ka parbhav nahi hai.mahan siksavid mahan darsnik bharat ratn dr radhakrisnan ke janm divas par siksa ke liye unke mahan yogdan ke yad mai yah manaya jata hai.guru ke parti to ham itne kritaygya hai ki yek din kya yek janm bhi teacher's day manaye to kam hai.
ReplyDeleteSAME ON U.
BHAGVAN APKO SADBUDDHI DE,GURU TO DE NAHI PAYE...
SAME ON U
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