27.9.08

सुदीप बंदोपाध्याय का तृणमूल में लौटना तय





प्रकाश चण्डालिया

पश्चिम बंगाल में निरंतर हाशिए पर जा रही कांग्रेस में सियासी कैरियर के गर्दिशी दौर से गुर रहे विधायक सुदीप बंदोपाध्याय का ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस में लौट जाना अब कुछेक दिनों की बात है। सुदीप बंदोपाध्याय को तृणमूल में वापस लेने की मांग पुरजोर उठ रही है। ये वही सुदीप बंदोपाध्याय हैं, जिन्हें कभी सुब्रत मुखर्जी के चलते ममता ने पार्टी से दरकिनार कर दिया था। यह तबकी बात है, जब केंद्र में एनडीए की सरकार थी और ममता की पार्टी उसमें शामिल थी। एनडीए की सरकार में ममता की पार्टी को कैबिनेट रैंक के दो पोस्ट परोसे जा रहे थे। इनमें एक नाम सुदीप बंदोपाध्याय का तय था, पर सुब्रत मुखर्जी को सुदीप के बढ़ते कद से ईष्र्या होना लाजिमी थी, नतीजतन उन्होंने विरोध किया और ऐसा चक्कर चलाया कि ममता ने सुदीप के साथ किनाराकशी कर ली। सुदीप को बाद में कांग्रेस ने लपक लिया और वे इस पार्टी के विधायक भी बने। हालांकि कांग्रेस की गुटबाजी में वे प्रिरंजन दासमुंशी की नाव पर नहीं बैठ सके, अलबत्ता उनके सियासी कैरियर को एक बार फिर कई वर्षों से कोपभवन में समय व्यतीत करना पड़ रहा है।
सुदीप को पश्चिम बंगाल कांग्रेस में सोमेन मित्र का करीबी माना जाता रहा है। ये वही सोमेन मित्र हैं, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस से किनारा करके प्रगतिशील इंदिरा कांग्रेस के नाम से अपनी नई पार्टी बनायी है। सोमेन चाहते हैं कि सुदीप जैसा लोकप्रिय नेता उनके दल में शामिल हो। भविष्य को देखते हुए सुदीप बंदोपाध्याय को यह नागवार गुजर रहा है।
पिछले दिनों सिंगुर में ममता के मंच पर एकाएक प्रकट होने वाले धुरंधर कांग्रेस नेता सुब्रत मुखर्जी को तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जिस जलालत का सामना करना पड़ा था, वह उनके शेर-अंदाज सियासी सफर का सबसे काला अवसर रहा होगा। सुब्रत इस भ्रम में थे कि ममता के साथ खड़े होने पर तृणमूल कार्यकर्ता भी पुरानी घटनाओं को भुलाकर उनका खैरमकद्दम करेंगे, पर उन्हें इसके उलटे असर से मुखातिब होना पड़ा। नतीजा यह निकला कि सुब्रत मुखर्जी, जो कभी ममता की पार्टी में रहते समय कोलकाता के मेयर हुआ करते थे, अब कांग्रेस से किनारा करके पुन: इस पार्टी में लौटने की सोच भी नहीं पा रहे हैं। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रियरंजन दासमुंशी ने उन्हें प्रदेश प्रवक्ता पद से भी हटा दिया है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ममता बनर्जी परोक्ष-अपरोक्ष सुदीप के संपर्क में हैं और वे चाहती हैं कि तृणमूल का यह पूर्व लोकप्रिय नेता पुन: पार्टी में लौटे। समझा जा रहा है कि नवरात्र के दौरान या उसके आगे-पीछे सुदीप और ममता का मिलन फिर से हो जाएगा। सिंगुर में टाटा के नैनो प्रोजेक्ट को लेकर तृणमूल इस समय ग्रामीण अंचलों में लोकप्रियता के शिखर पर है (यह अलग बात है कि मध्यम एवं उच्च वर्गीय शहरी वोटर ममता के रूख से इत्तफाक नहीं रखता)। सुदीप बंदोपाध्याय के लिए तृणमूल में लौटने का यह सबसे मुनासिब अवसर है। मामला सिर्फ इसी पर अटका है कि ममता सार्वजनिक तौर पर सुदीप को लौट आने का आमंत्रण कब देती हैं। वैसे विधानसभा की औद्योगिक कमिटी के चेयरमैन के रूप में विधायक सुदीप बनर्जी ने पिछले दिनों राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के समक्ष ममता के आन्दोलन का पुरजोर समर्थन करते हुए अपना पांसा तो फेंक ही दिया था।

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