1.9.08

2 comments:

  1. विशाल भाई,बिलकुल अजीब बात कह रहा हूं अन्यथा न लेते हुए विचार करियेगा... अगर सरकार के द्वारा घोषित सारा धन जनता तक पहुंच जाए तो क्या हमारी आपकी जरूरत है लेकिन हरामी,कफ़नचोर नेता और अफ़सर पैसा खा जाते हैं और हम संवेदनाओं में डूबे मदद करते हैं एक-दूसरे की... नेता तो मनौतियां मानते हैं कि ऐसे कहर होते रहें... बंद करिये ये सब और इस पैसे पर नजर रखिये RTI के द्वारा और इन हरामियों से पैसा निकाल कर जनता तक ले जाइये...

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  2. डॉक्टर साहब आपने सौ टक्के सही बात कही है, अन्यथा न लें मगर प्रभात ख़बर के बारे में हम ने अभी अभी भड़ास पर ही पढ़ा की किस तरह से फोटोग्राफर के पैसे मार लिए गए, इसे संसथान पर हम कैसे भरोसा करें.
    वैसे भी अगर अखबारनवीस का साथ बुद्धीजीवी जन सिर्फ़ RTI का इस्तेमाल करें और बढ़ रहत को आम जन तक पहुंचने देन तो नि संदेह किसी के मदद की जरुरत नही रहेगी.
    हो सकता है मैं ग़लत हूँ मगर प्रश्न है.

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