22.9.08
.....सब वादे हैं....वादों का क्या!!
......रिश्ते जिन्दगी को धीमा कर देते हैं!!रिश्ते मतलब,एक -दूसरे की फिक्र!!रिश्ते मतलब,एक-दूसरे को प्यार!!रिश्ते मतलब,रोज-रोज की तकरार-मनुहार!!रिश्ते मतलब,एक-दूसरे को अपना वक्त देना......कुल-मिलाकर वक्त खोटा करना !!और वक्त!!वो तो हम सब के पास बेहद कम है,देखो ना भागा ही जा रहा है!!नामुराद साला!!ठहरता ही नहीं!!जिन्दगी में कित्ते तो काम हैं!!ये करना है,वो करना है!!इससे आगे बढ़ना है,उससे आगे जाना है!!मकान बनाना है,बच्चों की शादी,ऊँचा रहन-सहन,मोबाइल,गाड़ी,कपड़े,टी.वी, फ्रीज,कंप्यूटर,डी.वी.डी.प्लेयर,तरह-तरह के अन्य साजो-सामान....ना जाने कितना और कुछ.....!!जिन्दगी की इन सच्चाईयों के बीच रिश्तों की भला बिसात ही क्या ?? प्लीज रिश्तों की कोई बात ना कीजिये !!रिश्ते दरअसल अन्धकार हैं, आज के दौर की ये चकाचौंध हमारी रौशनी!!हमें अपने समय से बहुत आगे जाना है,हममे से हर एक को,हर एक से आगे जाना है,कहाँ .... पता नहीं !!!! बूढे माँ-बाप... इन्होने तो अपना फ़र्ज़ पूरा किया,किसी पर अहसान थोड़ा ही ना किया!! रिश्ते !!हा-हा-हा-हा!! रिश्ते दर्द हैं!!रिश्ते दुख हैं!!रिश्तों से भला कैसी रिश्तेदारी?? रिश्तों से कोई ना निभाओ यारी !! रिश्ते धुंध हैं !!धुंध के पार जाना है!!अब शायद कोई अपनी माँ से पैदा ना होगा!!अब शायद किसी का कोई बाप ना होगा !! सच !!!!
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