20.9.08

शर्मा जी हमे गर्व है.......


शर्मा जी हमे गर्व है आप पर....हमे विश्वाश है की आपकी ये कुर्बानी जाया नही जायेगी.....और हमारे बाकी जांबाज़ सिपाही आपकी मुहीम जारी रखेंगे...जय हिंद...रजनीश परिहार...

4 comments:

  1. shahido ki chitao par lagege har varas mele .vatan par marne walo ka yahi akhir nisha hoga .

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  2. बहुत निंदनीय बात है कि ऐसे वीर और निडर पुलिसकर्मी के भारत माता के प्रति बलिदान होने के बाद भी स्थानीय आबादी के एक समूह ने जिस तरह पुलिस कार्रवाई पर आपत्ति जताई और यहां तक कि मुठभेड़ को फर्जी करार देने की कोशिश की और यह सब भी पूरे देश के समक्ष टी. वी. पर । इसकी जितनी निंदा की जाए बहुत कम है । हम सभी लोगों को एकजुट होकर ऐसी राष्ट्र विरोधी मानसिकता की हर सम्भव कड़ी निंदा करनी चाहिए । नहीं तो देश के सच्चे सपूत को श्रद्धांजली पूरी नहीं होगी ।

    शर्मा जी हमें गर्व है आप पर । ईश्वर आपकी दिव्यात्मा को शान्ति व सद्गति प्रदान करे ।
    सनातन हिंदू धर्म की जय । उत्तरांचल की पावन भूमि की जय । भारत माता की जय । राष्ट्र की जय ।

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  3. शर्मा जी के शहादत पर न शोक न सभा बस वीर को श्रधांजलि.

    और हाँ पचौरी जी, वैमनस्यता मत फैलाइए, उनलोगों में और आप में क्या फर्क है, जब आप भी धर्म की ही बात करते हैं तो,
    वसुधैव कुटुम्बकम.
    जय हिंद
    जय हिन्दी
    जय जय भड़ास

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  4. लगता है कि आपने मेरी टिप्पणी ध्यान से नहीं पढ़ी अथवा समझ नहीं पाये। मेरा उद्देश्य वैमनस्यता फैलाना बिल्कुल नहीं है। मैंने "स्थानीय आबादी के एक (स्थानीय) समूह" की ही बात की है न कि किसी भी धार्मिक समाज की। क्या एक पुलिस कर्मी के गोली लगने से घायल होने के बाद भी एनकाउंटर पर प्रश्न उठाना या जांच की बात करना सही है? हर धर्म में अच्छे बुरे सभी प्रकार के लोग होते हैं। कोई भी धर्म बुरा नहीं होता है, और आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता है। मरने वाले लोग हर धर्म के होते हैं। आतंकवाद अथवा निर्दोष लोगों का मारा जाना पूरी मनुष्यता के प्रति वैमनस्यता होती है। जयपुर में कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी आगे आकर जांच में सहायता की थी। वह अत्यन्त प्रशंसनीय है। सबसे बड़ा धर्म मनुष्यता ही होता है।

    आपके द्वारा जय हिन्दी लिखा जाना क्या अन्य भाषाओं के प्रति वैमनस्यता कहा जा सकता है? अथवा जय हिंद लिखा जाना अन्य देशों के प्रति? जिस प्रकार आपको अपने देश और अपनी भाषा के प्रति गर्व प्रर्दशित किया उसी प्रकार मुझे अपने धर्म के प्रति भी गर्व है। कृपया इसे सही परिप्रेक्ष्य में ही समझें।
    आतंकवाद अथवा निर्दोष लोगों का मारा जाना पूरी मनुष्यता, पूरे राष्ट्र के प्रति वैमनस्यता होती है। हम और आप शर्मा जी की तरह बलिदान तो नहीं कर सकते परन्तु आगे आकर इसका कड़े शब्दों में विरोध भी न करें तो यह कैसी राष्ट्र भक्ति?

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