राजनीति की चाशनी में हिंसा का ज़हर मिलाये।
फिर वेबकूफों के समूह को मिलाकर थोड़ा थोड़ा हिलाए।
जो बच जाए उसे ठोक -ठाक ठाकरे से मिलाकर धुप में सुखाएं ।
दंगा, कतल, मारपीट सब एक थाली में सजाएँ।
ऊपर से थोड़ा महारास्ट्र सरकार को मिलाएं।
फिर चटखारे लगाकर ठाकरे की चटनी खाए।
( पत्रकार मित्र धीरेन्द्र पांडे की प्रस्तुति )
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