साधु होने की आधार भूमि है संवेदना। क्रोध नहीं। अमूमन औघणों का चित्रण अभी तक क्रोधी, नसेरी व भयंकर के रूप में होता रहा है और इसी का फायदा उठाकर कुछ नकलचिये उस वेश भूषा में आ जाते थे और अपने को औघण कहकर समाज को ठगते व भयभीत करते रहे। अघोराचार्य बाबा कीनाराम की नई चदरिया के रूप में विख्यात अवधूत भगवान सिद्धार्थ गौतम राम जी महाराज ने इस दिशा में एक सार्थक पहल की है। उहोंने औघणों को उस वेश भूषा से ही मुक्त नहीं कराया बल्कि अघोर पंथ को भी समाज से जोणा और समाज के उन्नयन के लिए प्रयास शुरू किया। लिक से हटकर चलने वाले इस औघण ने औघणों के प्रति समाज के भ्रम, घृणा व भय को दूर किया। पहले औघण मूलतः अपनी साधना में रमते थे। इसके लिए उहोंने श्मशान को अपना निवास स्थान बनाया था और समाज द्वारा उपेक्षित चीजों आदि से वे अपना जीवन निर्वाह करते थे। ताकि वे समाज पर भार न बने। कफन लपेटना और श्मशान की लकरी से खाना बनाना उनके इसी उद्देश्य के तहत था किसमाज उनसे कटा रहे और उनकी साधना में कोई व्यवधान न आए। लोगों को भयभीत करना और धन संग्रह औघणों कि प्रवृति कभी नहीं थी। अघोर पीठ गोरखपुर के प्रमुख अवधूत छबीलेराम के अनुसार औघणों कि साधना कि पहला कदम होता था - रूद्राचार, जिसमें बारह वर्ष तक नहाना धोना नहीं होता था। वे समाज से दूर रहते थे। रूद्राचार के समय साधकों कि दशा पागलों कि हो जाती थी। विषम परिस्थितियों में वे अपने को साधते थे। यह देखकर कुछ बहुरूपिये समाज में घूमने लगे और लोगों को भयभीत कर ठगने लगे। औघण सम्प्रदाय को बदनाम होते देख अवधूत भगवान सिद्धार्थ गौतम राम जी महाराज ने वह व्यवस्था ही ख़त्म कर दी और अघोर पंथ को सीधे समाज से संपृक्त कर दिया। साथ ही मानव सेवा इस पंथ का मुख्य ध्येय बना दिया। अवधूत भगवान सिद्धार्थ गौतम राम जी महाराज को अघोराचार्य बाबा कीनाराम अवतार मना जाता है। बाबा कीनाराम ने शरीर छोरते वक्त कहा था की मैं अपनी ग्यारहवीं गद्दी पर स्वयं आऊंगा। इस समय ग्यारहवीं गद्दी चल रही है। अवधूत भगवान सिद्धार्थ गौतम राम जी महाराज ने अघोर पंथ को समाज से संपृक्त कराने के लिए जगह जगह आश्रमों की स्थापना की। इसी क्रम में उनहोंने ट्रांसपोर्ट नगर गोरखपुर में अघोर पीठ बनाया। यह पीठ नशा उन्मूलन के साथ ही दूरस्थ पहारों व् जगलों में गरीब आदिवासियों को अन्न व् वस्त्र पहुँचाने का कार्य करती है।
भाईसाहब,आपने गुरुशक्तियों का जिक्र करा है तो खुद को रोक नहीं पाया और अनायास ही आपको धन्यवाद करने का दिल से भाव उठा है,धन्यवाद के साथ मेरा प्रणाम स्वीकारिये।
ReplyDeleteडा.रूपेश श्रीवास्तव
इस बारे में एक बहुत अछी धमाकेदार किताब है जिसमे पुरे खुलासे हैं की कैसे यह धर्मं के नाम पर लोगो को पागल कर देते है उस किताब का नाम है शैतान बना आसाराम और वोह मुफ्त मैं डाउनलोड कर सकते है आप स्लेव कल्ट डॉट कॉम से
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