23.10.08

हां ......कल.... बात करती हूं।

क्यों ऐसा क्यों ....

जेट ने अपने सारे कर्मचारी वापस ले लिये । ये ब्रेकिंग न्यूज़ दे कर रूही ने ज़रूर 1900 लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी थी पर उसका मन बहुत दुखी था । ये पूरी दुनिया को मालूम है कि देश आर्थिक मंदी की चपेट में है और कुछ सेक्टरों में लोगो का भविष्य अंधकार में है लेकिन ये हम कैसे और किस को बताये कि दुनिया को दुनिया भर की ख़बर देने वाले लोगों के हालात कैसे हैं । सब को हमारे चेहरे पर मुस्कान दिखती है, तन पर महंगे और डिज़ाइनर वियर । पूरे संसार में क्या क्या हो रहा है, पल में, लोगों तक पहुंचाने वाले...., नेता, अभिनेता ,मंत्री संत्री सबका पसीना छुड़ा देने वालों को भला क्या परेशानी ......
जल्दी जल्दी स्टुडियो से मेकप रूम के लिये रूही चल दी । रास्ते में सिनियर एडिटर राहुल भी मिले कहा बहुत अच्छा संभाला आपने .... रूही ने उन्हे एक औपचारिकता भरी मुस्कुराहट दी और आगे बढ गयी पहले ये छोटी छोटी तारीफ उसे बहुत अच्छी लगती थी उसे एक अजीब सी खुशी मिलती थी जिससे उसका दिल खिल उठता था .. पर अब वो तारीफ करने वाले की भी हैसीयत को समझ चुकी है ...

मेकपरूम पहुचते ही उसने कपड़े बदले और प्रोडक्शन में फोन कर दिया कि घर जाने के लिये गाड़ी चाहिये और वहा से आवाज़ आई मैडम अभी गाड़ी नहीं है बस रूही का पारा चढ़ गया । क्या समझा है आपने, क्या हम गधों की तरह यूं ही मरते रहें .. बेवकूफ बना रखा है जब बस में नहीं था चैनल चलाना ...तो क्यों खोला न जाने क्या क्या ... रूही शुरू हुई तो बस शुरू ही हो गयी..... उधर से आवाज़ आई एसा है हम भी काम कर रहें और जो है उसी में हमें करना है आपको जिससे कहना कहे दे पर अभी गाड़ी नहीं है ।

किस को क्या कहना .... पता है कंपनी का मामला है कौन बोले, सब को अपनी नौकरी प्यारी है । तनख्वाह चाहिये... मालिक के बारे में बुरा कहना वो भी नौकरी करते हुये किस की हिम्मत होती है ।पत्रकार तो बाहर होते है आफिस में सब नौकर ही होते है सब का घर होता है, बीवी होती है, बच्चों की फीस होती है, मां-बाप का इलाज होता है घर और कार की ईएमआई होती है। दूसरों को इतने दबाव से निकालने वाला खुद कितने दबाव में रहता है ये तो वो खुद ही जानता है ।

खैर रूही को गाड़ी मिल गयी .. रात को दिल्ली की सड़के बड़ी बड़ी इमारतें और ठण्डी-ठण्डी हवा ... पर भविष्य की चिंता और अपने को कोसते हुये कि क्यो पहली नौकरी छोड़ी, कम पैसे थे पर मिलते तो थे । इन ठेकेदारों ,नेताओ, बिल्डरों को तो अपनी दुकान चलानी है जिसमें फायदा हो.... फायदा नही तो दुकान बंद.. किस से कहूं और क्या ... रूही ये सोच ही रही थी तभी ड्राईवर रशीद बोला , मैडम हमारा सिर्फ 2,850 रू का तनख्वाह का चैक है पिलीज़ पास करवा देंगी .. बात सुनते ही रूही कि आंखों से आसू निकल आये पर पत्रकार थी दुनिया के सामने अपने को कमज़ोर नहीं दिखाना है संभलते हुये बोली.... हां ......कल.... बात करती हूं।

No comments:

Post a Comment