अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
8.11.08
ज़मीं पर आफताब है
ज़मीं पर आफताब है, हाथ में जब शराब है। ये सच हमेशा बोलती है, तभी तो ख़राब है। हमसे मिलाए आँख, किस में इतनी ताब है। समंदर से खेलती हुई, ये लहरों की नाव है। लिक्खी गयी जो खून से, ये वो किताब है। अपना तो प्यार दोस्तों, बस बेहिसाब है। मकबूल
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