पंकज व्यास, रतलाम
जब भी कोई आतंकवादी घटना घटित होती है, कई तरह के बयान मार्केट में आ जाते हैं। जैसे, हम आतंकवाद की जड़ को खत्म कर देंगे, आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता है, हम कड़ी कार्रवाई करेंगे आदि-आदि। इन सब बयानों को सुन-सुन कर मैं उब चुका हूं। कोई नई बात करो तो जानें। आप पुछेंगे नई बात क्या? भई एक्सशन लो, और क्या?तो हम बात कर रहे थे बयानों की। आतंकी घटनाओं के जस्ट बाद बयानों की झड़ी लग जाती है, उनमें से एक बयान मुझे काफी परेशान है। वह बयान है, ये कायराना हरकता है। मुझे समझ नहीं आता है, आतंकवादी आकर सरेआम मौत का तांडव मचा देते हैं और हम इसे कायरना हरकत कहकर कैसे टाल देते हैं? आखिर, इनकी ये हरकत कायराना है, तो हमारी हरकतें विराना है क्या? क्या चुपचाप आतंकी हमलों को सहना, और बयान बाजी करना भर हमारी विरता है?एक बात और.. क्या? लोग बड़ी सहज रूप से इन हरकतों को कायरना कहकर टाल देते हैं। एक बात बताओं कि इन आतंकवादियों की इन कायराना हरकतों से देश थर्रा उठ जाता है, लोग त्राहि-त्राहि करते हैं, लोग दहशत में हैं, डर के साये में जीते हैं, तो ये आतंकवादी विराना हरकत करेंगे तो क्या होगा? मेरे मन में उठ रहे इन सवालों को शांत करो। भई मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। आपको आ रहा है क्या? आपको आए तो जरूर बताना। बताओंगे ना?
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