'न्यूयार्क टाइम्स' में एक रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद पाकिस्तानी अवाम में मुल्क के टुकड़े-टुकड़े होने का खौफ समा गया हैं। 'न्यूयार्क टाइम्स' की रविवार को प्रकाशित 'ए रिड्रोन मैप ऑफ साउथ एशिया' नामक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी रणनीतिकारों और अवाम में भारत और अफगानिस्तान के बीच बन रहे रणनीतिक संबंध से खलबली मच गई है। रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर पाकिस्तानी मानते हैं कि अमेरिका पाकिस्तान को मजबूत करने की बजाए इस इस्लामी मुल्क के टुकड़े-टुकड़े करने में अपनी सहभागिता दे रहा हैं। रिपोर्ट में पाकिस्तान सेना के जनरल (सेवानिवृत्त) तलत मसूद के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तानी अवाम अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी को शक की निगाह से देख रहा हैं। जनरल (सेवानिवृत्त) तलत मसूद ने कहा कि पाकिस्तानी हुक्ममरान भारत की अफगानिस्तान में मौजूदगी से खफा हैं। और इसे रोकने के लिये अमेरिकी दख़ल चाहता हैं। लेकिन अमेरिकी सरकार इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही है।
पाकिस्तानी सेना के कुछ अधिकारी का मानना हैं कि पाकिस्तान में कबायली इलाकों में हो रहे अमेरिकी हमले आग में घी का काम कर रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में केवल अमेरिका को फायदा हो रहा है और पाकिस्तान का तो महज इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बात पाकिस्तानी अवाम में घर करती जा रही हैं।
भारत-अमेरिकी परमाणु समझौते को भी पाकिस्तान में शक की निगाह से देखा जा रहा हैं। पाकिस्तानी सेना कुछ अधिकारियों के हवाले से कहा गया हैं कि परमाणु समझौते से साबित होता है कि भारत और अमेरिका के बीच सैन्य रिश्ते तेजी से मजबूत होते जा रहे हैं। अफगानिस्तान में भारी भारतीय निवेश को लेकर भी पाकिस्तान में खलबली मच गई है। गौरतलब है कि भारत ने अफगानिस्तान की सेना को प्रशिक्षण देने की पेशकश की थी। साथ ही साथ भारत ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अफगानी संसद भवन के निर्माण के लिए 950 करोड़ रुपए की भारी-भरकम रकम देने का भी एलान किया था।
अमेरिका में नये बनते राजनीतिक समीकरण के बीच पाकिस्तानी अवाम की ये शिकायत कितनी सुनी जाती हैं, यह देखना मजेदार होगा।
Sumit K Jha
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