ऐसा लगता है कि मैं हवाओं में हूं, आज इतनी खुशी मिली है....ब्लाग की दुनिया में आकर मेरी पहली अभिव्यक्ति यही है। हिन्दी फिल्म के एक गीत की यह लाइन मुझे हमेशा उत्साह और उमंग से भर देती है। अपनी बात सहज और सरल ढंग से बुद्धिजिवी वर्ग के सामने रखने की इच्छा रखता है। शुरू से अपनी भड़ास लोगों के सामने निकालने की आदत रही है। स्कूल-कालेज के दिनों में मंच पर भाषण देने से मेरी यह इच्छा पूरी हो जाती। पर अब इस पर थोड़ी लगाम लगी है। उम्मीद है ब्लाग की दुनिया के मेरे साथी मेरी बात पर ज़रा नज़रें इनायत करेंगे। अपनी बात कहने के लिए मैं अपने साहित्यिक गुरु डा.तेजसिंह जोधा की पंक्तियां उधार लेना चाहूंगा- कभी-कभी की बात हो तो हम कहें अभी। अभी न कह सके तो फिर क्या कहेंगे कभी।।
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Matho kharab hoigo kai?????
ReplyDeleteJo man me aayo vo hi likh diyo.
Jyada patrakarita kam ki nahi hai.
Dhyan Rakhije.
Super PATRAKAR.