1.12.08

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी ना सही, दोस्त बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
हंसी ना सही, मुस्कान बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
हकीकत ना सही, खयाल बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
नज़र ना सही, याद बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
दिल ना सही, धड़कन बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
गज़ल ना सही, शायरी बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
खुशियां ना सही गम बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
पास ना सही, अहसास बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
कल ना सही, आज बनकर तो ज़िन्दगी में आओ.
ज़िन्दगी ना सही, दोस्त बनकर तो ज़िन्दगी में आओ।


-रज़ाक हैदर

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