19.12.08

पाकिस्तान को मजबूत कर रहे हैं अंतुले

अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री अब्दुल रहमान अंतुले ने यह कहकर बवाल खड़ा कर दिया कि मुंबई हमलों में मारे गए एटीएस चीफ हेमंत करकरे की मौत की जांच होनी चाहिए, कि उन्हें आंतिकयों ने मारा या फिर उनकी हत्या किसी साजिश के तहत की गई। मुंबई हमलों के बाद पूरा देश इस मद्दे पर एकजुट खड़ा है। इतना ही नहीं इस एक मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष भी एक साथ नजर आ रहे हैं। सोई हुई राजनीति ने अंगड़ाई तोड़कर खुमारी छोड़ी है और आंतक से लड़ने की रानीतिक इच्छा शक्ति में नई जान पड़ती दिख रही है। इस मुद्दे पर अगर सारे देश से कोई इतर खड़ा है तो वो हैं अंतुले।

हालांकि अंतुले इससे पहले भी कई बार बेतुकी बयानबाजी कर चुके हैं, लेकिन इस बार बयान बहादुर अंतुले ने ऐसा अपच वाला बयान दिया है कि पूरे देश को हज़म नहीं हो रहा। उस पर ढिठाई ये कि अपनी गलती मानने को तैयार नहीं। हठधर्मिता ने अंतुले को इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया। अंतुले के इस बयान ने करकरे की शहादत पर तो सवाल खड़े करने का काम कर ही दिया, साथ ही मुंबई हमलों की जांच कर रहीं भारतीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की जांच को भी शक के दायरे में लाने का काम कर दिया। पलटबयानी में माहिर पाकिस्तान अंतुले के बयान को ढाल की तरह इस्तेमाल कर सकता है। पाकिस्तान सरकार इस बात से पहले से ही मुकर रही है कि कसाब और हमलों में मारे गए आतंकी पाकिस्तानी हैं, ऐसे में अंतुले का यह बयान घाघ पाकिस्तान को बढ़ावा ही देगा। पाकिस्तान राषाट्राध्यक्ष इस मामले में क्लीन चिट के लिए पहले ही कई पैंतरे आजमा चुके हैं, लेकिन विश्व बिरादरी के बढ़ते दबाव से वह कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे हालात में अंतुले के बयान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रखकर पाक यह दावा कर सकता है कि मुंबई हमले भारत की घरेलू साजिश थी। इन हमलों में उनके अपने लोग ही शामिल थे और पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित कराने के लिए भारत अपने ही देश में खुद आतंकवादी हमलों को अंजाम देता आ रहा है। इससे भारत की नीतियों और उजली छवि को विश्व मंच पर धक्का लग सकता है।

इधर उबलती राजनीति और देश की नब्ज को टटोलकर कांग्रेस ने भी अपने इस कारिन्दे से पल्ला झाड़ लिया है। वक्त का तकाजा भी यही है। हालांकि अंतुले के इस्तीफे पर अभी यूपीए सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह विचार ही कर रहे हैं, लेकिन चिंता यह है कि कि अंतुले पर की गई कार्रवाई को भी पाकिस्तान अपने हित में भुना सकता है। पाकिस्तान कह सकता है कि सच सामने आने के डर से भारत ने अंतुले के खिलाफ कार्रवाई करके उसका मुंह बंद करने की कोशिश की है। इससे बेहतर तो यही हो कि अंतुले का इस्तीफा मंजूर ही न किया जाए। शायद हमारे दूरअंदेशी प्रधानमंत्री भी यही सोचकर चुप हैं।

सोचने का मुद्दा यह है कि जिस मामले पर अंतरराष्ट्रीय संवेदना हमारे साथ है, पूरी दुनिया ने पाकिस्तान को गलत मानकर उसे तुरंत ठोस कार्रवाई करने के लिए बाध्य किया है, उस मुद्दे पर अंतुले इतनी ढीली बयानबाजी क्यों कर गए। कहीं ये अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का हथकंड़ा को नहीं? मुंबई हमलों में भी कहीं हिंदू आतंकवाद का भगवा रंग घोलने का कोशिश तो नहीं? मालेगांव धमाकों और इस घटना में अंतर है। मालेगांव ने जहां सारे देश को अचंभे में डाल दिया था, वहीं इस घटना ने पूरे देश और राजनीति को आतंक के खिलाफ लामबंद किया है। राजनेताओं ने जनता के तीखे तेवर देखकर बहुत कुछ सीखा है। अंतुले के इस बयान के पीछे एक वजह समझ आती है कि कांग्रेस में हाशिए पर खिसक चुके अंतुले शायद पार्टी का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते थे। एक समुदाय विशेष को गुमराह करके अपना जनाधार तैयार करना चाहते थे।

खैर जो भी हो, अंतुले को अपनी लफ्फाजी पर लगाम लगानी चाहिए, वरना सही दिशा में जा रही जांच और पाक पर बढ़ रहा अंतरराष्ट्रीय दबाव दिशाहीन हो सकते हैं। जो कि भारत ही नहीं बल्कि समूची दुनिया के लिए खतरा है। अंतुले को एक बात और ध्यान रखनी चाहिए कि जनता अब राजनीति की नब्ज समझने लगी है। अगर जनता अर्श पर बैठा सकती है तो फिर मिनटों में ही फर्श पर भी फेंक सकती है।

6 comments:

  1. ऐसा सोचने वाले अकेले अंतुले नहीं हैं. हैदराबाद के उर्दू अखबार ऐसी शंका पहले ही जाहिर कर चुके हैं . इन्हीं कारणों से मुस्लिम बिरादरी शंकाओं के घेरे में आ जाती है.

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  2. ऐसा सोचने वाले अकेले अंतुले नहीं हैं. हैदराबाद के उर्दू अखबार ऐसी शंका पहले ही जाहिर कर चुके हैं . इसी सोच के कारण मुस्लिम बिरादरी शंकाओं के घेरे में आ जाती है.

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  3. आपने सही कहा है ।अंतुले जी जो कह रहे है वह भारत के लिए नही बल्कि पाकिस्तान के लिए कह रहे है । एक कसाब का मामला अभी तक सुलझा नही है । लेकिन भारतीय शहीद पर बेचारे अपनी राजनीतिक रोटी सेक रहे है । प्रसिध्द होने का यही सबसे अच्छा उपाय है बरना अंतुले जी क्या है सबको पता है । मुस्लिम बोट बैक की जुगार में है चुनाव आगे है न । मेरे ब्लाग पर भी आए

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  4. आपने सही कहा है ।अंतुले जी जो कह रहे है वह भारत के लिए नही बल्कि पाकिस्तान के लिए कह रहे है । एक कसाब का मामला अभी तक सुलझा नही है । लेकिन भारतीय शहीद पर बेचारे अपनी राजनीतिक रोटी सेक रहे है । प्रसिध्द होने का यही सबसे अच्छा उपाय है बरना अंतुले जी क्या है सबको पता है । मुस्लिम बोट बैक की जुगार में है चुनाव आगे है न । मेरे ब्लाग पर भी आए

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  5. desh me ek ek kar ginenge to aaj ki tarikh me sare neta aise hi hai ------------- deshdrohi

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  6. अंतुले तो बड़ा कहते थे कि इस्तीफा जेब में लेकर घूमता हूँ. लगता है भूल गए जेब से निकालना. कोई उनको याद दिलाने का कष्ट तो करो कि गृहमंत्री के बयान से संतुष्ट होने कि ज़रूरत नहीं. ये बयान वैसे भी आपके लिए नहीं है. अगर आप जैसे दोगले नेताओं से आज पीछा नहीं छुडाया गया तो आगे चलकर फिर हमारी शर्मिंदगी का सबब बनेंगे.

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