Wednesday, December 24, 2008
>> पंकज व्यास
जब-जब इस दुनिया में किसी मानवीय तत्व की कमी हुई, तब-तब उस कमी को पूरा करने के लिए इस धरा पर किसी को आना पड़ा।
मानव तभी पूर्णता की ओर अग्रसर हो सकता है, जब उसमें सब तत्वों का समावेश हो। ठीक इसी तरह इस विश्व में भी सारे तत्वों का समावेश जरूरी है। जब कभी किसी तत्व की कमी हुई, तो उस तत्वा को पूरा करने की आवश्यकता हुई और प्रकृति व परमेश्वर ने उस तत्व में अभिवृद्घि करने के लिए उस तत्व से भरपुर एक अवतरण को इस दुनिया में भेजा।
जब करूणा की कमी हुई, तो बुद्घ आए, जब मर्यादा की कमी हुई तो श्रीराम आए, जब प्रेम और व्यावहारिकता की कमी हुई तो श्री कृष्ण आए, जब ओज-जोश और वीरता की कमी हुई तो पवनपुत्र हनुमान आए, जब अहिंसा की कमी हुई तो महावीर आए, जब भाईचारे की कमी हुई, पेगम्बर मोहम्मद आए। इसी तरह जब क्षमा तत्व की कमी हुई तो प्रभु येशु आए और दुनिया में सबको क्षमा करना सीखाया।
प्रभु येशु के वैसे तो कई उपदेश, सदुपदेश, शिक्षाएं व सुसमचार हैं, लेकिन उनके जीवन को व्यापक दृष्टिï से देखें तो उन्होंने विश्व को क्षमा करना सीखाया। दूसरे शब्दों में प्रभु येशु को क्षमा का अवसर का जाए, तो कदाचित् कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
आज जबकि छोटी-छोटी छोटी बातों के लिए, झगड़े-फसाद हुआ करते हैं, प्रभु येशु का अवतरण दिवस क्रिसमस प्रासंगिक बन पड़ा है।
इस दिन सारी प्रार्थनाओं के साथ एक प्रार्थना और की जा सकती है और वह है क्षमा की अभिवृद्घि की।
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बहुत सुंदर टिप्पणी है। आपको इसके लिए बहुत बहुत बधाई। मैं भी धार्मिक विषयों पर भड़ास पर लगातार लिख रहा हूं। ऐसे लेखों की जरूरत है।
ReplyDelete- विनय बिहारी सिंह