27.12.08

चोरी करना पाप है

हद है! अब ब्लॉग पर भी चोरी होने लगी ।मामला ताजा है , फरवरी २००८ में ही कृत्या मॆ धूमिल पर एक आलेख छपा था, लेखक थे जाने माने कवि और आलोचक भाई सुशील कुमार। अब इसी को शब्दशः चुरा कर मुकुन्द नामक व्यक्ति ने कालचक्र पर छाप दिया है। यहाँ तक कि क़ोटेशन भी वही है।यह ब्लाग की मस्त कलन्दरी दुनिया को गन्दा करने वाला प्रयास है। इसकी लानत मलामत की जानी चाहिये।सबूत के लिये यहाँ दोनों लिन्क दे रहा हूँ ।http://www.kritya.in/0309/hn/editors_choice.html इस पर सुशील जी का आलेख फ़रवरी मे छपा।http://kalchakra-mukund.blogspot.com/2008/09/blog-post_5626.html इस पर है मुकुन्द जी का स्वचुरित लेख है।
फ़ैसला आप ब्लागर देश के नागरिकों का।

8 comments:

  1. भाईसाहब चोरी करना पाप है या नहीं ये तो कानून का मामला है लेकिन चोरी करके पकड़ा जाना जरूर पाप है:)
    मुकुन्द जी को अच्छा लगा तो छाप दिया यदि शिकायत है तो "नेटस्केप" से अपने ब्लाग को तालित कर लीजिये कि यदि ऐसा कुछ हो तो आपको पता चले. ठीक है न...

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  2. साले की ऐसी की तैसी।
    चोराया क्यो।
    साभार लिख देता तो का हो जाता।

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  3. We should take some strong actions.
    A writer do hard work and then Publish some things. And on the other hand Some people takes the credit.

    At least They should give the Crdit there.

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  4. कानून की मा बहन मत कीजिये भाई साहब्। पाप और गुनाह दो अलग चीज़े होती है। पाप मह्सूसने के लिये अन्तरात्मा चाहिये।अब वहाँ की दोस्ती यहाँ निभा रहे हैं तो साफ़ कहिये 'चोरी' की तो की।
    मुकुन्द जी को अच्छा लगा तो छाप दिया-तो साभार लिखने मे क्यो ऐसी तैसी हो रही थी।
    ग्यान बाँटने का शॉक है तो छात्रो मे जाइये।
    दोस्ती निभाईये पर बेइमानी की हद तक नही। ठीक है न…

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  5. आपके दोस्त हैं क्या डा. रूपेश ? अगर हैं तो उनका पता ,फोन न. या ईमेल दीजिये। क्या आपकी कोई सामग्री चोरी गयी है? और गयी तो क्या किया। उसकी भर्त्सना करने के बजाय मुझे ही हसीहत दे रहे है,क्यों?

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  6. डाक्टर साहब,

    सुशिल भाई तो गुसिया गयी, अरे सुशिल भाई डाक्टर साहब और जो भडासी हैं सब की ऎसी ही फितरत है, सभी को दोष समझते हैं चाहे कोई जुतिया ही क्योँ न दे, वैसे जिस चोरी से आप तिलमिलाए हुए हैं तो आपको बता दूँ की आप शिक्षा विभाग में हैं और यहाँ के धुरंधर आपके विभाग का भी हिसाब किताब रखते हैं, कहीं ऐसा न हो की विभागीय लपेटा उलटा हो जाए, आख़िर चोर चोर जो ठहरे.
    पत्रकारिता के धुरंधर सारे दिन इंटरनेट से ख़बर चुराते हैं अपने नाम से चिपकाते हैं, यहाँ तक की संवाद एजेंसी तक की ख़बरों में अपने नाम के साथ चेप देती है, क्या करें गंदा है पर धंधा है ये......
    जय जय भड़ास

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  7. तो क्या इस तरह की चोरी को कानूनन वैध करार दे दिया जाय ?

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  8. तो क्या इस तरह की चोरी को कानूनन वैध करार दे दिया जाय ?

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