अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
13.1.09
उठ जाग मुसाफिर भोर भया, अब रैन कहां कि तू सोवत है....
(उपरोक्त दोनों विजुअल में से कोई एक कापी करके अगर आप अपने ब्लाग पर लगाते हैं तो मीडिया के खिलाफ प्रस्तावित काले कानून से लड़ रहे मीडियाकर्मियों के प्रति अपने सक्रिय समर्थन का इजाहर करेंगे)
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