विनय बिहारी सिंह
सुबह से लेकर सोने तक हमारे मन में न जाने कितने तरह के विचार आते औऱ जाते हैं। गौर कीजिए तो आश्चर्य होता है। ये विचार हमारे दिमाग को थका देते हैं। इसीलिए रात को हमे सोने की जरूरत पड़ती है। हम दिन भर के कामकाज के बाद शारीरिक रूप से तो थकते ही हैं, मानसिक रूप से भी थक जाते हैं। रात भर गहरी नींद में सो कर फिर से हम तरोताजा हो जाते हैं। क्या जगे रहने के दौरान हमारे जीवन में कोई ऐसा क्षण आता है कि हम प्रेम
से सराबोर होते हों। हममें से कई लोगों के जीवन में ऐसा क्षण आता ही नहीं कि हम ईश्वर कें प्रेम से सराबोर हो सकें। संत महात्माओं ने कहा है कि हर रोज दिन में कुछ क्षण एेसे निकालिए कि आपके दिमाग में कोई विचार ही न हो। सिवाय ईश्वर के प्रेम के। मानो आप १ मिनट या २ मिनट ईश्वर के प्रेम से नहा रहे हों। सब कुछ ईश्वर में डूब गया है। आपका अस्तित् भीईश्वर में डूब गया है। एेसा रोज करने से आप पाएंगे कि आपके भीतर एक नई ताजगी एख नया उमंग पैदा रहा है। यह अद्भुत प्रयोग एक बार सबको करना चाहिए। आशीर्वाद यहीं से शुरू होता है।
अब ये कैसे हो की कोई विचार ही न आए अगर ये ही सोच के बैठ गए तो ये नही सोचना नही सोचना नही सोचना .........विचार ही चलता रहता है । कोई समाधान हो तो बताइयेगा । धन्यवाद ....
ReplyDeleteSuch me bahut sundar.....
ReplyDeleteभाई शेखावत जी,
ReplyDeleteजब हम सोते हैं तो क्या कोई विचार हमें घेरता है? नहीं न? तो १ या २ मिनट के लिए आप यह भी सोच सकते हैं कि आप सो रहे हैं। सारे विचारों के लिए आपके दिमाग ने दरवाजे बंद कर दिए हैं। लेकिन यह एक दिन में नहीं होगा। धीरे- धीरे अभ्यास कर आप कुछ देर विचार शून्य हो सकते हैं।
- विनय बिहारी सिंह