नव वर्ष की आत्मीय शुभकामनाओं के साथ--
अच्छा हुआ
आ तो गया पूस
धुन भी गयी जड़ कपास
अच्छा हुआ
फुटपाथियों को भी याद आयी रुई
गर्म हो गयी कल्लू की दुकान
अच्छा हुआ
जम गयीं लाल रक्त कणिकाएं
किसी के हिंसक आह्वान पर
अच्छा हुआ
सब एकमत तो हुए
एक रजाई की वजह से
अच्छा हुआ
विचलित हुआ नया खून
ऋतु के गिरते तापमान में।।
पवन निशान्त
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