8.2.09

ग़ज़ल

अगर ये प्यार है तो प्यार के ये दरमियाँ भी हो
न हम बोलें, न तुम बोलो, मगर किस्सा बयां भी हो।

जहाँ दिल से मिलें दिल एक ऐसा कारवां भी हो
कहाँ पर हो, कहाँ कह दूँ, यहाँ भी हो, वहां भी हो।

उसे सूरज दिया, चंदा दिया, तारे दिए फिर भी,
वो कहता है मेरे हिस्से में अब ये आसमां भी हो।

भला तू ही बता, मैं शर्त उसकी मान लूँ कैसे,
वो कहता है, कटे पर का परिंदा बेजुबां भी हो।

मुझे थी चाह जिसकी वो तेरा दिल मिल गया मुझको
मुझे क्या काम तेरे जिस्म से, चाहे जहाँ भी हो।
चेतन आनंद

5 comments:

  1. achha likha hai aapne,samay mile to hamare blog par bhi dastkat de...

    aamjindgi.blogspot.com
    robinrajonline.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. न तुम बोलो, न हम बोलें,
    करेंगे सब बयां नैना।
    मिले जब दिल से दिल अपने,
    रहे सुख-चैन, दिन-रैना।।

    ReplyDelete
  3. जहाँ दिल से मिलें दिल एक ऐसा कारवां भी हो
    कहाँ पर हो, कहाँ कह दूँ, यहाँ भी हो, वहां भी हो।
    Bahut khoob,bahut sundar. har sher lajawaab.
    bar bar padhne ka jee karta hai.

    ReplyDelete
  4. bahoot khoobsoorat gazal.......
    lajawaab sher

    ReplyDelete