१९३३ में बोम्बे जिमखाने में ......सामने इंग्लैंड की टीम ......और लाला अमरनाथ ने अपना पहला मैच खेलते हुए भारत की ओर से पहला टेस्ट सेंचुरी जड़ दिया । यही से भारत की शुरुआत होती है ........और अब सचिन ,राहुल ..... टेस्ट क्रिकेट को एक नई उचाई पर ......
11 सितंबर 1911 को जन्में लाला अमरनाथ का अलसी नाम था नानिक अमरनाथ भारद्वाज। उनके खेल के स्तर और चरित्र को आंकड़ों में नहीं बांधा जा सकता। इंग्लैंड, वेस्ट इंडीज, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने 1933 से 1953 के दरम्यान कुल 40 पारियां खेलते हुए करीब 25 की औसत से 878 रन बनाए और 45 विकेट भी लिए। उन्होंने अपना करियर विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर शुरू किया था लेकिन उन्हें बल्लेबाजी के अलावा स्विंग गेंदबाजी के लिए भी जाना गया। दूसरे विश्व युद्ध के कारण उनके खेल जीवन के सुनहरे साल बर्बाद हो गए जैसा कि महान बल्लेबाजों डॉन ब्रेडमैन और लेन हटन के साथ भी हुआ था.......
आजाद भारत के पहले कप्तान के रूप में उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई दौरे में टीम का नेतृत्व किया। विक्टोरिया के खिलाफ खेली गई उनकी 228 नॉटआउट की पारी पर विक रिर्चड्सन ने एक भारतीय अखबार के लिए लिखा, 'यह पारी मेरी याददाश्त में डोनाल्ड ब्रेडमैन की 1930 में लीड्स में खेली गई 339 की और सिडनी में स्टैन मैकेब की 182 की पारी के साथ हमेशा अंकित रहेगी ।
लाला अमरनाथ के जीवन में इसके बाद कई उतार चढ़ाव आए लेकिन अपनी नैतिक दृढ़ता के बल पर वे हर बार कामयाबी से उस से बाहर आ गए। उनके तीनों बेटों मोहिंदर, सुरिंदर और राजिंदर को यही गुण विरासत में मिले थे। मोहिंदर 1980 के दशक में भारत में तेज गेंदबाजी के खिलाफ सबसे अच्छे बल्लेबाज थे और उनका करियर बहुत शानदार रहा। सुरिंदर अमरनाथ ने भी पहले टेस्ट मैच में शतक लगाया था जो इत्तफाकन भारतीय क्रिकेट इतिहास का सौवां शतक था।
सच लाला अमरनाथ का योगदान भुलाया नही जा सकता है । उन्हें कोई भी क्रिकेट प्रेमी कभी नही भुला सकता ...... सरकार और भारतीय क्रिकेट बोर्ड भले भुला दे .....
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