4.2.09
ग़मों के दौर में मुस्कुरा के जियो
रोना कभी नहीं रोना,
चाहे टूट जाए कोई खिलौना..
सोना चुपके से सोना,
चाहे टूट जाए सपन-सलौना..
मुझे ये गाना याद है, क्यंकि स्टेज पर गाना पड़ा था और मैं गाना भूल गई थी...सोचिए ये गाना न होकर जिन्दगी की अहम सांसें होती, तो मेरा क्या होता..अंधा-कानून का यह गाना कैंसर से जंग लड़ रहे जांबाजों के लिए समपित करती हूं...
यूं भी कौन मरना चाहता है? हर इंसान चाहे वह रेंग-रेंग कर ही चलता क्यों न हो, वह भी जीने की तमन्ना रखता है। ये बात उन जांबाज लोगों के लिए है, जो कैंसर की बीमारी से पल-पल लड़ रहे हैं। उन्हें पता है उनकी सांसें चंद दिन के बाद वातावरण में खो जाएगी..फिर भी उनकी आखिरी सांस भी लड़ती रहेगी जीने के लिए। जैसे लड़ रही हैं जेड गुडी। आप तो शायद भूल चुके होंगे बिग बॉस सीजन 2 की जेड गुडी़ को, उसने शिल्पा शेट्टी के साथ कलर्स चैनल पर खूब रोना-धोना किया था, मगर आज यही रियलिटी शो स्टार चीख-चीख कर कह रही है-मैं मरना नहीं चाहती हूं।
आप को जानकर तकलीफ होगी कि जेड गुडी का का कैंसर बढ़ रहा है। डॉक्टर्स ने कह दिया है कि जिंदा रहने की संभावना केवल 40 प्रतिशत तक रह गई है। इस खबर ने जेड गुडी का मानसिक स्तर और कमजोर कर दिया है, मगर वे अपनी जिंदगी और मौत की लड़ाई में जीतने की आशा लेकर चल रही हैं।
मगर उनके मनोबल की दाद दीजिए, क्यूंकि 27 साल की इस स्टार ने दुनिया भर के लाखों कैंसर के रोगियों की तरह कहा है कि मैं टूट चुकी हूं, मगर मैं मरने के लिए तैयार नहीं हूं क्योंकि मुझे लगता है कि जीने के लिए बहुत कुछ है अभी। बस, मैं देखना चाहती हूं कि कितने दिन तक अपने दर्द को बर्दाश्त करने के लिए पॉजीटिव एटिट्यूड रख सकती हूं।
जेड गुडी की तरह कैंसर के रोगियं को भी पॉजीटिव एटिट्यूड अपनाना चाहिए।
कम ही जियो, मगर सिर उठा कर जियो।
याद कीजिए हमराज के गीत को, जिसे महेन्द्र कपूर ने गया है। इस सिचुएशन पर कितना ठीक बैठता है...
न मुंह छुपा के जियो और न सिर झुका के जियो,
ग़मों का दौर भी आए, तो मुस्कुरा के जियो
एक बात तो सच है कि आप और मैं इस बात की गारंटी लेकर नहीं चल सकते हैं कि कैंसर हमसे दूरी रखेगा। हम किसी भी सिचुएशन में रहें, एक लड़ाई हम भी इन जांबाजों के साथ लड़ सकते हैं, हम उन्हें पॉजीटिव एटिट्यूड बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। उनके मनोबल को ऊंचा करने की छोटी-सी कोशिश कर सकते हैं।
क्यों कर सकते हैं ना।
c
ReplyDeleteManobal badhane ke is prayas ko mera salaam.Aapki samvedansheelta dil chhoo lene waali hai.Baat aapki solah aana sahi hai.Gamon ke dour mein muskarana hee jindgi hai.Per kya vaastav mein aisa sambhav ho paata hai.Ve muskara paayen iski dava bhi unhen deni hogi.Mera sujhav hai ki SARKAR ko cancer ka ilaaj sabhi ko bilkul muft mein karne ki ghoshana karni chahiye.Shaayad aarthik sankat se mukti unki jeene ki lalak ko our badha de.Aakhir desh vidhayakon our saansadon ke roop mein itne dher saare logon ko jabardasti paal raha hai,vah bhi VIP treatment dekar.
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