3.2.09
धन्यवाद सोनिया जी
झंडा मोटरसाइकिल पर लहरा रहा था,
उसे कोई अंधा चला रहा था
उसके पीछे एक अकलमंद चल दी,
देखते-देखते उसने भवसागर पार कर ली।
आप जयपुर पधारी, खुशी हुई, मैं धन्यवाद रैली में थी, पता नहीं में वहां पहुँची कैसे? मगर मैं आपको धन्यवाद इसलिए देना चाहती हूं कि जिन्दगी में पहली बार भीड़ में फंसने का अनुभव पाया। देखा, आपके समर्थक (पता नहीं वे किसके थे) जिधर जगह मिल रही थी, वहीं खिसक रहे थे और बेचारे पुलिसकर्मी , रैली को संभालने के बजाए खुद की डिफेंसिव पोजिशन ले रहे थे, भई इतनी भीड़ कुछ भी कर सकती थी...
इस बात को मैंने पल-पल महसूस किया, क्योंकि मेरी स्कूटी और मैं उस भीड़ से घिरे हुए थे, न दौड़ सकते थे, न घिसट सकते थे,
मगर आपके चेहरे पर परेशानी झलक रही थी..लगता है मेरे जैसे मंद-बुद्धि के युवाओं को अधिक दिन बरगलाना आपके हाथ में नहीं है। इसे आपकी आंखें देख पा रही हैं।
मैं आपको एक बात के लिए धन्यवाद दे रही हूं कि मेरे छोटे से दिमाग ने एक सूझबूझ भरा काम किया, उस भीड़ से निकलने के लिए आपकी पार्टी के झंडे ने मेरी मदद की, वो एक मोटरसाइकिल पर लहरा रहा था और उसे कोई अंधा (follower)चला रहा था, उसके पीछे मैंने स्कूटी कर ली और बड़े आराम से भवसागर (भीड़ कहो या रैली) पार कर ली।
शिक्षा: भीड़ या रैली एक प्राब्लम बन सकती हैं, मेरे कहने का मतलब प्रॉब्लम एक भीड़ की तरह ही लगती है और आप और हम इससे घिरे रहने का अहसास करते हैं।
अगर दिमाग के छोटे से पोरशन का उपयोग किया जाए, तो भीड़ से निकलने का कोई न कोई रास्ता जरूर दिख जाता है। इस प्यारी सी तकनीक को प्रेजेंस ऑफ माइंड कहते हैं जनाब...आजमा कर देखिए
tum aisa gahara bhi likh sakati ho aaj pata chala.proud fill hua. samayik muddo par dhyan lagao.u can do best. pahali char line me bahut kuchh tha
ReplyDeletepradeep joshi
tum aisa gahara bhi likh sakati ho aaj pata chala.proud fill hua. samayik muddo par dhyan lagao.u can do best. pahali char line me bahut kuchh tha
ReplyDeletepradeep joshi
What a `प्रेजेंस ऑफ माइंड`
ReplyDeleteBest article,
thanks,
MARKAND DAVE
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