अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
कोई पुरुष की आवाज है॥
कह रहा था.. लगता है चुराने आई है..अब बचा ही क्या है?इससे पहले तो अन्न का संकट आया तो तुम्हारे द्वार तक पहुंचा और तुम तो अन्नपूर्णा बन गई और मै तो फकीर ही रहा..
.बाकी ब्लॉग पर ........
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