@टीवी पर दिखाए जा रहे फिल्मों एवं सीरियलों के झूठे, मनगढ़ंत और तन-मन-जीवन को दूषित करने वाली कहानियो को सच्ची मानकर इन्हीं के अनुरूप जीने लगना। #टीवी पर विज्ञापित वास्तु पर जरुरत से अधिक विश्वास करना और सिर्फ़ इन्हीं वस्तुओं को खरीदना और उपयोग करना। @सीरियल और फ़िल्म के नट-नटीनियों और क्रिकेट खिलाड़ियों को भगवान्, अपना रोल मोडल या कोई अजूबा आदमी मानने लगना। #टीवी-सिनेमा के कलाकारों की नक़ल उतारते हुए ख़ुद भी और अपने बेटे-बेटियों के द्वारा भी वैसे ही कपड़े और फैशन को अपनाना. @अपने बेटे-बेटियों को फिल्मी जोकरों की तरह रिकॉर्डिंग डांस और फिल्मी गाने सिखवाने की जूनून सवार होना. #पति-पत्नी के बीच रोज-रोज झगडे एवं विवाद होना. @अपने बच्चों के शिक्षा एवं संस्कार देने के प्रति लापरवाह होना. #पति या पत्नी या फिर दोनों का विवाहेतर सम्बन्ध रखना. @स्कूल-कॉलेज जाने वाले लड़के-लड़कियों द्वारा एक-दूसरे को फिल्मी हीरो-हिरोइन समझते हुए प्यार का चक्कर चलाना और चोरी-छिपे देह-मिलन का खेल खेलना. #घर में कैदी की तरह बंद होकर दिन-रात टीवी से चिपके रहना और अपने बच्चों में भी टीवी देखने की आदत डालना. @अपने पड़ोसियों से ज्यादा फ़िल्म-सीरियल के कलाकारों के बारे में जानकारी रखना. #सुंदर-सुहावने प्राकृतिक दृश्यों को देखने के लिए कभी घर से बहार न निकलना. दिन-भर बस टीवी के विभिन्न चैनलों के नकली प्राकृतिक दृश्यों को देखकर ही संतोष कर लेना. @सिगरेट, शराब एवं कोल्ड ड्रिंक पिने की आदत का लगना. #बच्चों का पढ़ाई-लिखाई में रूचि न लेकर फ़िल्म और सीरियल देखने में अधिक रूचि लेना. @घर-बाहर, स्कूल-कॉलेज, चलती बस या ट्रेन में, विभिन्न सभा-सम्मेलनों में लोगों का आपस में गप्प लड़ाने का विषय फ़िल्म, सीरियल या क्रिकेट का होना. #बच्चों का छोटी उमर में बड़ी-बड़ी बातें करना। हिंसा-अपराध की घटनाओं में दस से बीस साल के बच्चों का शामिल होना. @कमर दर्द, मोटापा, तनाव, आँख सम्बन्धी रोग, अस्थमा, पीठ दर्द आदि रोगों से ग्रसित होना. जरा TELEVISIONITIS के इन लक्षणों पर गौर फरमाएं।
आपका इस ब्लॉग पर भी स्वागत है: होशोहवास
कमाल है दीपक जी, आप तो डॉक्टर,वैद्य,हकीमों की दूकान बंद करवा देंगे। A good write up for every household.
ReplyDelete