जब साहित्य जगत मैं सन्नाटा छाया हो और कुछ अच्छा पढने का दिल कर रहा हो तो किसी अच्छे साहित्यकरकी टांग तोड़ दो वो जरूर कुछ न कुछ लिखेगा ऐसी ही एक घटना मैंने पढ़ी थी हरी संकर पारसी के बारे मैं जब उनकी दिल्ली मैं एक हादसे के दौरान टांग टूट गई थी और उनहोंने अस्पताल मैं लघभग एक दर्जन से जादा किताबें लिख डाली थी मेरा मतलब साफ है यदि कोई सिर्फ़ अपने कम पर ध्यान लगाये भले ही वो बुरे वक्त से क्यूँ न गुजर रहा हो परिणाम अच्छे ही होंगे
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