ब्लागिंग के अपने अनुभवों पर कभी विस्तार से लिखूंगा लेकिन आज एक बात बताना चाहता हूं। बताने की वजह है एक ब्लाग पर पड़ी एक पोस्ट जिसमें 'गंदी लड़की' ब्लाग की तारीफ करते हुए बहुत दिनों से कुछ न लिखे जाने की शिकायत की गई है। 'कौन है ये गंदी लड़की' शीर्षक से ठेकेदार ब्लाग www.thekedar.blogspot.com पर प्रकाशित पोस्ट इस प्रकार है-
---------------------------कौन है ये गंदी लड़की
यूं ही बैठे-बैठे ब्लॉग्स पर कुछ सर्च कर रहा था। अचानक एक ब्लॉग में आ गिरा। ब्लॉग का नाम था गंदी लड़की । किसी लड़की ब्लॉग बनाया था। जियो अपनी ज़िंदगी, करो अपनी मनमर्जी, उन्हें कहने दो हमें-तुम्हें गंदी लड़की.... ये है उस ब्लॉग का विवरण। साफ है जिस किसी ने भी ये ब्लॉग बनाया है, उसने एक क्रांतिकारी विचार सामने रखा है। इस ब्लॉग पर जाएंगे तो आपको एक अलग ही अहसास होगा। ऐसे धारदार विचार जो एक बारगी आपको सोचने के लिए मजबूर कर देंगे। ऐसी बातें जो भले ही आप-हम खुले तौर पर स्वीकार नहीं करते हों, उन्हीं बातों को दिलखोल कर लिखा है गन्दी लड़की ने। पहली निगाह डालेंगे तो लगेगा कि किसी ऐसी लड़की ने इस ब्लॉग को माध्यम बनाया है जिसे इस समाज ने, खासकर पुरुषों ने बहुत दुख दिया है। लगातर लगी चोटों से घायल उस लड़की ने हार न मानकर एक रौद्र रूप अपनाया है। गुमनाम ही सही लेकिन अपने विचारों को, अपनी भड़ास को बाहर निकाल रही है। ऐसी खरी-खरी बातें कर रही है। दुख की बात ये है कि पिछले एक साल से गंदी लड़की ने कुछ नहीं लिखा। आखिर है कौन ये गन्दी लड़की जो वास्तव में आईना है, वह आईना समाज जिसमें अपना गन्दा चेहरा देखकर आईने को गन्दा करार दे रहा है। स्नोवा वार्नो की तरह की रहस्य है यह लड़की। हम नहीं चाहते कि गन्दी ल़ड़की खुल कर सामने आए, लेकिन हम ये चाहते हैं कि गन्दी लड़की फिर से लिखना शुरु करे। क्योंकि हमें चाहिए एक ऐसा ठेकेदार, जो नारी हितों की बात करता रहे। और सिर्फ बातें ही नहीं करे बल्कि कुछ सकारात्मक करे। तो आप जानते हैं कि कौन है ये गन्दी लड़की?
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इस पोस्ट को पढ़ने के बाद मुझे लगा कि सच बता देना चाहिए, जो पहले से ही मेरे आसपास के कई लोगों को ज्ञात है, उपरोक्त पोस्ट पर मेरी टिप्पणी इस प्रकार है-
1 टिप्पणियाँ:
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भाई,
इस ब्लाग को मैंने यह सोचकर बनाया था कि अगर मैं लड़की होता तो किस तरह भड़ास निकालता। गंदी लड़की ब्लाग बनाने के बारे में मैंने अपने कई मित्रों को पहले ही बता दिया था। मुंबई में पिछले साल ब्लागर मीटिंग के दौरान मौजूद कई ब्लागरों को गंदी लड़की ब्लाग के जरिए एक प्रयोग करने की बात बताई थी। आज जब आपने यह पोस्ट प्रकाशित की है, तो मुझे लगा कि सच्चाई बता देना चाहिए। इन दिनों भड़ास4मीडिया पर व्यस्तता के चलते गंदी लड़की तो छोड़िए, भड़ास ब्लाग तक पर समय नहीं दे पाता हूं। उम्मीद है मेरी भावनाओं को समझेंगे।
आभार के साथ
यशवंत
दोस्तों, ब्लागिंग और आनलाइन दुनिया में ढेर सारे लोग नाम बदलकर या पहचान छुपाकर मेल करते हैं, ब्लाग लिखते हैं या मोर्चेबंदी करते हैं। भड़ास ने दिल की बात कहने के लिए हमेशा अपनी पहचान के साथ सामने आने को उचित माना है। 'गंदी लड़की' एक संवेदनात्मक प्रयोग था जिसमें खुद को मानसिक स्तर पर लड़की की पीड़ा के साथ एकाकार कर लिखने की कोशिश की। बहुत कम पोस्टें लिख पाया लेकिन इन पोस्टों पर जिस तेजी से टिप्पणियां मिलीं, वो अचंभित करने वाली थीं। कुछ लोगों ने तो स्पेशली मेल कर गंदी लड़की के दुख को दूर करने की बात कही। कई लोगों ने तो सीधे सेक्स का प्रस्ताव कर दिया। आप अगर गंदी लड़की ब्लाग पर जाकर कमेंट पढ़ें तो वाकई आपको समझ में आएगा कि किसी लड़की द्वारा कुछ लिखने पर किस तरह लोग वाह वाह या हुआं हुआं करने लगते हैं। गंदी लड़की ब्लाग का यूआरएल है- www.gandiladki.blogspot.com
क्या 'गंदी लड़की' नाम से ब्लाग बनाकर मैंने कोई गलत काम किया? अब जबकि इस ब्लाग पर नहीं लिख पा रहा हूं, क्या गंदी लड़की ब्लाग को मुझे डिलीट कर देना चाहिए? या इसे यूं ही छोड़ देना चाहिए?
उम्मीद है, आप लोग मुझे जरूर गाइड करेंगे।
आभार के साथ
यशवंत
हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही हो हो हो हा हा हा ही ही ही
ReplyDeletedelete kar do
ReplyDeleteजसवंत जी आप तो गजब के हैं। आजकल के किसी पत्रकार में इतनी रचनात्मकतो होती है यह आप को देखकर पता चलता है. गंदी लड़की ब्लाग सही है. आप इस पर लिखते रहिए टाइम मिलने पर. प्रेमचंद ने कई पेन नेम से लिखे हैं. दलित लिट्रेचर कई सवर्ण लोगों ने उनकी पीड़ा महसूस करने के बाद लिखा है. इसमें कुछ नया नहीं है। अति संवेदनशीलता व्यक्तित्व को रुपांतरित कर देती है। आप में वो क्षमता है कि आप जिस चीज के बारे में गहराई से सोच लेंगे तो उस चीज के सच को काफी मात्रा में पकड़ सकते हैं। शुभकामनाएं। ईश्वर आपकी रचनात्मकता को इसी तरह बढ़ाए रखे। आपने बेबाक तरीके से खुद स्वीकार कर लिया, बिना किसी के पूछे, यह भी बड़ी बात है। यह हिम्मत और सच कहने का साहस बहुत कम लोगों में होता है।
ReplyDeleteअनुज, मेरठ
jari rakhiye is andolan ko...
ReplyDeleteskgsd..
यशवंत भाई अपने विचारों को छुप कर रखने परंम्परा कब तक इस समाज में चलेगी। कभी-कभी सोचता हूँ कि संविधान में लिखा है कि कानून के सामने सभी लोग बराबर पर क्या है। यदि किसी मामले में बड़े आदमी का नाम आता तो प्रसाशन कहता है कि जाँच की जा रही है परन्तु यदि किसी गरीब का नाम आता है तो उसको पकड़ पहले पीटा जाता है फिर बंद किया जाता है कोर्ट में पेश किया है पर कि बड़े आदमी को पहले कोर्ट में पेश किया जाता है फिर किसी मेहमान की तरह थाने में उसकी खातिरदारी की जाती है। क्या यही समानता है।
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