राजेन्द्र जोशी
प्रदेश में भाजपा सरकार में शामिल उत्तराखण्ड क्रंाति दल के एक मंत्री के कुर्सी मोह के कारण पौड़ी सीट को लेकर यूकेडी तथा निर्दलीय विधायक में समझौता नहीं हो पा रहा है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि यदि यह फैसला 15 मार्च तक न हुआ तो समूचे प्रदेश उक्रंाद में बगावत तक हो सकती है । एक जानकारी के अनुसार इस गठबंधन को लेकर राज्य आन्दोलन से जुड़े कई नेताओं का यूकेडी पर वर्तमान में भारी दबाव है। वहीं सरकार के गिरने के खतरे को देखते हुए भाजपा के एक गुट इस समझौते को परवान नहीं चढऩे देना चाहते हैं।
जहां एक ओर एनडीए के घटक दल देशभर में एक के बाद एक टूटते दिखाई दे रहे हैं। हांलाकि केन्द्रीय स्तर पर यूकेडी एनडीए का घटक दल नहीं है। लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार में यूकेडी घटक दल के रूप में मौजूद है। घटक दलों में टूटन का प्रभाव उत्तराखण्ड में भी पड़ता नजर आ रहा है। आज तक भाजपा से गलबहियां कर रही उत्तराखण्ड क्रांति दल में अब इस गठबंधन को लेकर छटपटाहट साफ देखी जा रही है और लोकसभा चुनाव के चलते जो समीकरण बन रहे हैं उसमें इसकी आहट नजर आ रही है।
उल्लेखनीय है कि आज से दो बरस पहले जब चुनाव जीत कर भाजपा प्रदेश में अपनी सरकार बनाने जा रही थी तो उसे तीन विधायकों की जरूरत थी उस समय प्रदेश के उत्तराखण्ड क्रातिं दल ने भाजपा को समर्थन देकर अपने दल के एक विधायक को मंत्री बनवा दिया जबकि दो अन्य विधायकों ने विधानसभा मेंं बतौर सदस्य भाजपा को सहयोग दिया। लेकिन इसी बीच यूकेडी ने कई मुद्दों पर सरकार का विरोध करते हुए लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के मुकाबले अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने शुरू कर दिये हैं। लेकिन अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए दोनो घटक दलों में दिन ब दिन दूरियां बढ़ती जा रही है। वैसे यूकेडी ने अल्मोड़ा से चम्पी आर्य , हरिद्वार से राजकुमार सैनी तथा पौड़ी गढ़वाल से एपी जुयाल का नाम फाईनल कर दिया है। इसके अतिरिक्त उक्रांद ने वहीं पौड़ी लोकसभा सीट से उक्रांद ने एक निर्दलीय विधायक यशपाल बेनाम के नाम पर भी गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि निर्दलीय विधायक उक्रंाद के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ही चुनाव लडऩे की शर्त रख रहे हैं। ऐसे में निर्दलीय विधायक की शर्त को लेकर कुछ नेताओं का मानना है कि सरकार में शामिल होकर यूकेडी का जनाधार दिन ब दिन कम होता जा रहा है। ये नेता सरकार में शामिल मंत्रियों और दर्जाधारियों पर पद का लाभ लेते हुए धन संग्रह का आरोप भी लगा रहे हैं। इतना ही नहीं राज्य आन्दोलनकारियों का तो यहां तक कहना है कि वर्तमान में भाजपा की गोद में बैठकर यूकेडी उसी से कैसे जनता के बीच जाकर लड़ाई कर सकती है इसके लिए सबसे पहले उसे भाजपा सरकार में शामिल अपने मंत्री को पद छोडऩे के लिए तैयार करना होगा। प्रदेश के राजनीतिक विश£ेषकों का तो मानना है कि यूकेडी की यदि समझौतावादी नरति रही तो उसे इसका खामियाजा आने वाले विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ सकता है। कुल मिलाकर यूकेडी का राजनीतिक भविष्य पार्टी के सरकार में सहयोग कर रहे एक मंत्री पर जा टिका है। लेकिन मंत्री हैं कि वे पार्टी के भविष्य को दरकिनार कर मंत्री पद को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।
मामले में यूकेडी के नेता काशी सिंह ऐरी का कहना है कि पार्टी के साथ लोगों की भावनाएं राज्य आन्दोलन से जुड़ी हैं लेकिन सरकार में शामिल होकर उनकी पार्टी का भविष्य खराब हो रहा है। उनका मानना है कि पार्टी को इस बारे में गंभीर चिंतन करने की जरूरत है।
वहीं यूकेडी से पौड़ी लोकसभा चुनाव लडऩे की इच्छा रखने वाले आन्दोलनकारी नेता से विधायक बने यशपाल बेनाम का तो साफ कहना है कि राज्य से इन दोनों राष्टï्रीय राजनैतिक दलों का कोई लेना देना नहीं है। राज्य का विकास राज्य की पार्टी ही कर सकती है इसी लिए उन्होने यूकेडी को न्यौता दिया है कि वह इस लोकसभा चुनाव में उन्हे प्रत्याशी बना कर यूकेडी के भविष्य के साथ न्याय करे।
aap ka kahna thik hai par UKD Kee takkar par Uttarakhand Parivartan Party aa gayi hai. jiske president PC Tiwari hain. Aise main UKD ko hee aage kahna uchit nahian. hoga woh bhi aise main jab ki congress kee seats abhi declare nahain hui hain.
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