..... और आजादी चाहिये ..... इतनी कम पड़ रही है ... सबको आजादी नही मिली ..... सम्मान से जीने की आजादी तो बिल्कुल नही मिली । राम राज्य का सपना साकार नही हुआ । विदेशी ताकतों की जगह अब देशी लुटेरे ही जनता का हक़ मार रहे है ..... ये अधूरी आजादी है .... हमें पुरी चाहिए । धीरे -धीरे ही सही लेकिन चाहिए ....चुप नही बैठने वाले ....लड़ कर लेगे ।
बच्चे थे तो सोचते थे .... लड्डू खाना ही आजादी है ...... आज सोचते है काश सबको रोटी मिलती ..... आजादी लड्डू से नही ,रोटी से मिलेगी
रोटी पाना आज भी ...... गांधी के राज में दुर्लभ है ...... आम आदमी कहने को तो रास्त्रपति और प्रधानमन्त्री बन सकता है ..... लेकिन सिर्फ़ कागज के टुकडों पर ...... हकीकत कौन नही जानता ..... सत्ता पर किन लोगों का कब्जा है ......
देश की बुनियाद में ही कुछ गड़बड़ है .... सोचना होगा .......
aur iske liye hum log khud hi zimmedar hai...
ReplyDelete