पिचकारियों के मौसम में
और स्मृतियों के धुंधलेपन में
मन में कुछ घुलता सा
सफेदी के डेले की तरह
विस्फोट करता
मन में कोई ढूंढता सा
नामजद किंतु गुमशुदा दोस्तों को
लाल खून से लिखे शिलालेखों पर
कुछ उकेरता सा
दिन की तरह
बेचैनी लेकर
और फिर कुछ डूबता सा
झुंझलाकर उदास
दिन ही की तरह
सागर की गहराइयों में
या अंतरिक्ष की जमीन पर
गुम हो जाने वालो
होली में तुम्हारा स्मरण
पानी में घुलकर उतर रहा है टेसुओं से
पवन निशान्त
http://yameradarrlautega.blogspot.com
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