7.3.09

घडियाली आंसू





















ऊपर कुछ फोटो है जिसमे सबसे ऊपर है जेम्स ओटिस का फोटो जो रोते हुए दिख रहे हैं । आपको क्या लगता है की यह सचमुच में रो रहे हैं। नहीं यह वास्तव में घरियाली आंसू है । जो व्यक्ति गाँधी जी के सामान को बेचकर नाम और दाम कमाना चाहता है वो सही में ही दिल से रोकर पछता रहा है ? मुझे क्या किसी को भी यह हज़म नही होगा। पश्चिम के कुछ लोगों की यह जन्मजात आदत होती है की वे हमारे देवी देवताओं के फोटो को सौचालय में लगा देते हैं तो कभी इस्लाम को कुरेदने के लिए मुहम्मद साहब के फोटो को कार्टून बनाकर अख़बार में लगा देते हैं। और अब राष्ट्रपिता गांधीजी के कुछ यादगार चीजों को बाज़ार में नीलामी के लिए रख सस्ता परचार बटोर रहे हैं।
एक सवाल मुह बाए खड़ी है की जेम्स ओटिस को उपरोक्त वस्तुएं जो फोटो में दिख रही है को कहाँ से मिली । भारत सरकार इस बात में ही खुश हो रही है की उसने विजय माल्या के जरिये ये सब चीज भारत ले आई लेकिन किस तरह खरीदकर। क्या भारत सरकार का इतना भी रसूख नहीं की वो सीधे इन सब चीजों को बाज़ार की वस्तु बनने के बजाय सीधे अमेरिकी सरकार से बात कर भारत लाती।
चलो विजय माल्या ने दारू की कमाई के बल पर ही सही गाँधी जी के सामान को भारत तो ले आया ।

1 comment:

  1. दाता एक राम
    भिखारी सारी दुनिया

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