22.3.09

गजल/ प्रसन्न वदन चतुर्वेदी/पर हैं लेकिन कटे हुए हैं

पर हैं लेकिन कटे हुए हैं ।
एक हैं लेकिन बंटे हुए हैं ।
अच्छे अच्छे पीछे पीछे ,
गुंडे आगे डटे हुए हैं ।
तुम नौकरी की अर्जी दे दो ,
जिनका होगा छंटे हुए हैं ।
वह लड़की है लड़का नहीं है,
जिसके गेसू कटे हुए हैं ।
जंहा जरुरी तन ढकना है ,
वहीं से कपड़े हटे हुए हैं ।



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