22.4.09

हल्के में न लें पानी की समस्या



देश में पानी की उपलब्धता की खराब होती स्थिति गम्भीर चिंता का विषय बनी हुई है। जैसे जैसे गर्मी बढाती जा रही है, वैसे वैसे पानी की समस्या भी बढाती जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2020 तक पानी की उपलब्धता प्रति व्यक्ति एक हजार क्यूबिक मीटर से भी कम रह जाएगी। पानी की कीमत का अंदाजा नहीं लगा पा रहे भारत के लोगों ने अगर पानी का मोल जल्द ही नहीं समझा तो वर्ष 2020 तक देश में जल की समस्या विकराल रूप ले सकती है। तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़े जाने की आशंकाओं के बीच भारत में जलस्रोतों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है नतीजतन कई राज्य पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। पानी के इस्तेमाल के प्रति लोगों की लापरवाही अगर बरकरार रही तो भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।देश में 85 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल खेती के लिए, 10 फीसदी जल का प्रयोग उद्योगों में तथा पाँच प्रतिशत पानी घरेलू कामों में इस्तेमाल किया जाता है। विश्व बैंक के एक अध्ययन में कहा गया है कि 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 27 एशियाई शहरों में चेन्नई और दिल्ली पानी की उपलब्धता के मामले में सबसे खराब स्थिति वाले महानगर हैं। इस फेहरिस्त में मुम्बई दूसरे स्थान पर जबकि कोलकाता चौथी पायदान पर है।


पानी की समस्या तो वाराणसी में हर जगह पर है लेकिन सबसे ज्यादा पानी की समस्या वाराणसी के पक्के महल्लों और गरीब बस्तियों में होती है, जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं होता है । उन पक्के महल्लों और गरीब बस्तियों में पानी के पाईप तो हर जगह पर हैं पर पानी कहीं-कहीं आता है । जिनके घरों में पानी नहीं आता वह दूसरों के घर से पानी भरते हैं । परंतु कुछ लोग जिनके घरों में पानी आता है वह लोग अपना पानी भरने के बाद भी दूसरों को पानी भरने नहीं देना चाहते हैं। पीने के पानी के लिए लोग दूर-दूर तक जाते हैं । पानी आते ही लोग इस तरह घर से पानी भरने के लिए भागते हैं कि कोई भयानक आदमखोर जानवर आ गया हो । इसका सबसे बुरा असर पड़ता है पढ़ने वाले विधार्थियों पर। पानी के अनियमित समय और गंदे पानी की आपूर्ति के कारण कई बार उन्हें अपनी पढा़ई से उठना पड़ता है ।प्रदेश में हर वर्ष हो रही कम वर्षा की वजह से संरक्षित वन क्षेत्रों में भी पानी की समस्या गहराने लगी है। कई जगह पानी के स्रोत सूख चुके हैं। पानी की तलाश में वन्य प्राणी कई बार सड़कों व गांवों में पहुंच जाते हैं, जिससे उनके साथ दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं।


प्यासे को पानी पिलाना लोक-जीवन में बड़ा पुण्य माना जाता है। जल-संग्रहण ही प्रकारांतर से जल-दान होगा। हमारे घर के आस-पास और घर पर बरसने वाला पानी व्यर्थ न बहे, इसकी एक-एक बूंद बचाने का हमें प्रयास करना होगा। हम जल के इस भाव को सुरक्षित रखने का प्रयास करके ही जल को सर्वसुलभ बना सकते हैं। इस सम्बन्ध में जन जागृती करना जरूरी है ।


साभार - मेरी पत्रिका http://meri-patrika.blogspot.com/2009/04/blog-post_5041.html

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