http://www.crykedost.blogspot.com ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ ने बच्चियों के साथ भेदभाव के खिलाफ जागरूकता लाने के लिए cry4girls।cry।org नाम से एक माइक्रो साइट जारी की है। इसके तहत बच्चियों की अपनी पहचान न उभर पाने के पीछे छिपे असली कारणों को सामने लाया जाएगा.
यह साइट बच्चियों को बहन, बेटी, पत्नी या मां के दायरों से बाहर निकलकर उन्हें सामाजिक भागीदारिता के लिए प्रोत्साहित करेगी. इसमें आम लागों के लिए चार्टर तक पहुँचने और ब्लाग पर अपनी कहानी भेजने की सुविधा होगी. साथ ही लेख, कार्यक्रम, अभियान और अन्य गतिविधियों के जरिए अहम जानकारियो भी दी जाएगी.
यह माइक्रोसाइट लिंग-अनुपात में असंतुलन की वजह और बच्चियों के प्रति सामाजिक धारणा को समझने में मदद करेगी. भारत में 6-14 साल तक के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्राप्त है. इसके बावजदू 51 प्रतिशत लड़िकयां आठवीं कक्षा तक पहुचंते-पहचुंते स्कूल जाना बंद कर देती हैं.
सर्वेक्षणों से निकले ज्यादातर तथ्यों में भी लडक़ों के मुकाबले लड़िकयों की हालत बदतर पायी गई है। ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ से संगीता कपिला ने बताया कि- ‘‘इस गैरबराबरी को बच्चियों की कमी नही बल्कि उनके खिलाफ मौजदू स्थितियों के तौर पर देखा जाना चाहिए. अगर लडक़ी है तो उसे ऐसा ही होने चाहिए, इस प्रकार की बातें उसके सुधार की राह में बाधाएं बनती हैं. यदि हर कोई अपनी लडक़ी को मनमर्जी से जीने की आजादी दे तो उसके जीवन में स्थायी बदलाव लाया जा सकेगा.’’ ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ के बारे में- संस्था 2006-07 में 5250 गांवो और बस्तियों के 497,343 बच्चों के साथ जुडी। इस दौरान संस्था ने लोगों के साथ मिलकर बंद पड़े 143 शासकीय प्राइमरी स्कूलों को दोबारा चालू किया. संस्था ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए लगातार जोर दिया. इसका नतीजा ही है कि 192 शासकीय प्राइमरी स्कूलों में 1 भी बच्चा ड्रापआउट नहीं हो सका. संस्था ने 317 गांवों की पंचायत शिक्षा समितियों को सक्रिय बनाया और 22,736 बच्चों को प्राइमरी स्कूलों तक लाकर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा.
यह माइक्रोसाइट लिंग-अनुपात में असंतुलन की वजह और बच्चियों के प्रति सामाजिक धारणा को समझने में मदद करेगी. भारत में 6-14 साल तक के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्राप्त है. इसके बावजदू 51 प्रतिशत लड़िकयां आठवीं कक्षा तक पहुचंते-पहचुंते स्कूल जाना बंद कर देती हैं.
सर्वेक्षणों से निकले ज्यादातर तथ्यों में भी लडक़ों के मुकाबले लड़िकयों की हालत बदतर पायी गई है। ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ से संगीता कपिला ने बताया कि- ‘‘इस गैरबराबरी को बच्चियों की कमी नही बल्कि उनके खिलाफ मौजदू स्थितियों के तौर पर देखा जाना चाहिए. अगर लडक़ी है तो उसे ऐसा ही होने चाहिए, इस प्रकार की बातें उसके सुधार की राह में बाधाएं बनती हैं. यदि हर कोई अपनी लडक़ी को मनमर्जी से जीने की आजादी दे तो उसके जीवन में स्थायी बदलाव लाया जा सकेगा.’’ ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ के बारे में- संस्था 2006-07 में 5250 गांवो और बस्तियों के 497,343 बच्चों के साथ जुडी। इस दौरान संस्था ने लोगों के साथ मिलकर बंद पड़े 143 शासकीय प्राइमरी स्कूलों को दोबारा चालू किया. संस्था ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए लगातार जोर दिया. इसका नतीजा ही है कि 192 शासकीय प्राइमरी स्कूलों में 1 भी बच्चा ड्रापआउट नहीं हो सका. संस्था ने 317 गांवों की पंचायत शिक्षा समितियों को सक्रिय बनाया और 22,736 बच्चों को प्राइमरी स्कूलों तक लाकर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा.
bahut hi achhi shuruaat hai ye..thanx
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