1.5.09

ओस्तों.....यह सब कितना अच्छा है ना......!!

इंटरनेट पर समस्याओं पर बात करना कितना अच्छा है है ना.......!!
चाय की चुस्कियों के संग गरीबों पर गपियाना कितना अच्छा है ना.....!!
कहीं बाढ़ जाए,आग लग जाए,भूकंप हो या कहीं मारे जाएँ कई लोग
की-बोर्ड पर अंगुलियाँ चलाकर उनपर चिंता जताना कितना अच्छा है ना !!
घर से बाहर रहूँ तो पुत्री के छेड़े जाने पर हिंदू-मुस्लिम का दंगा मचवा दूँ....
और किसी ब्लॉग पर एकता की बातें बतियाना कितना अच्छा है ना....!!
हर कोई अपनी-अपनी तरह से सिर्फ़ अपने ही स्वार्थों के लिए जी रहा है
और किसी और को उसकी इसी बात के लिए लतियाना कितना अच्छा है ना !!
अपनी बेटी के लिए तो हम चाहते हैं कि उसे कोई नज़र उठाकर भी ना देखे
दूसरो की बेटियों पर चौबीसों घंटे अपनी गन्दी राल टपकाना कितना अच्छा है ना !!
ये एशो-आराम....ये मज़े-मज़े का जीवन,ना सर्दी की फिक्र,ना बरसात का गम....
.सी.की ठंडी-ठंडी हवा में गाँव की धुप पर चिंता जताना कितना अच्छा है ना....!!
दोस्तों "गाफिल"भी आपसे अलहदा नहीं,वो भी यही सब कर रहा है मज़ा-मज़ा-सा
टैक्स चोरी पर लाड लड़ाना,और फिर सरकार को गरियाना कितना अच्छा है ना !!

2 comments:

  1. बिलकुल ठीक कहा आपने ,इस दुनिया में हर एक आदमी के दो चेहरे है. एक में तो वह बड़ा ही साधू-सन्यासी बनता है और मौका पड़ने पर अपने मतलब के लिए कोई भी बुरा काम करने से नहीं चूकता.

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  2. dekho sahab ,, apne desh me to yahi hota ahi ,, agar bal ya jugad hai to thik hai ,, varna bhatakte raho ..
    ..
    neta chunti to bhi khud janta hai ..
    ..
    janta khud kuch nhi karti ,,dange me shamil hone me bada maja aata hai ..
    ..
    desh ko badlne me kum se kum 20 saal to lagenge ..
    ,..
    aise hi jina hai ,, agae me india me rha to bus adapt ho hi gaya hun ,,baher gaya to thik hai ,, varana desh ko badlne itna aasan nhi hai ,, rone se fayada bhi nhi hai ,, adapt ho jao ..

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