28.5.09
दलित खुद हैं दलित आंदोलन की राह में बाधा
दक्षिणी दिल्ली के सर्वोदय एंक्लेव स्थित एक तीन मंजिला भवन के तहखाने में देश के दलितों की हित चिंता का मिशन दिन-रात चलता रहता है। इसी भवन की पहली मंजिल पर दलितों के नेता उदितराज सपरिवार रहते भी हैं। आईआरएस की नौकरी छोड़ दलित हित की लड़ाई में कूदे उदितराज का मूल नाम रामराज था। उन्होंने हिंदुओं में व्याप्त जाति व्यवस्था से बगावत करते हुए वर्ष 2002 में न केवल नाम बदला, बल्कि धर्म भी बदल लिया। बाबा साहेब अंबेडकर को आदर्श मानने वाले अब बौद्ध धर्मावलंबी उदितराज यह अच्छी तरह जानते हैं कि राजनीतिक शक्ति के बिना किसी समाज का भला नहीं हो सकता, इसलिए उन्होंने इंडियन जस्टिस पार्टी बनाई। दलितों को आरक्षण दिए जाने की वह भरपूर वकालत करते हैं। डीडीए फ्लैट आवंटन में दलितों के कोटे में हुई भारी धांधली के खुलासे को लेकर वे चर्चा में रहे। बृजेश सिंह ने उदितराज से दलित समाज को लेकर उनके विचारों, सरोकारों तथा आगामी योजनाओं पर बातचीत की। पूरा साक्षात्कार शहरनामा में पढ़े।
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