भाजपा और आर्गनाइज़र की इस गोल-गोल जलेबी का ,जिसे वह बड़ा ही सम्मानजनक दार्शनिक-वैचारिक रूप देने का प्रयत्न कर रहे है,मतलब अगर साफ़ -सीधी वैचारिक -राजनैतिक भाषा में निकला जाए तो इस प्रकार है-
भारत की सभ्यता और संस्कृति केवल हिन्दुओं ने बनाई (वह भी केवल उपरी वर्णों /जातियों ने क्योंकि निचली और अछूत जातियों को तो भाजपा पसंद नही करता!) ,भारत में कोई मिलीजुली संस्कृति सभ्यता नही,आजादी के बाद भारत ने धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव के रास्ते पर चलकर भारी गलती की और जनता की संवेदनाओ को ठेस पहुंचाई और इसी देश में आतंकवाद और सम्प्रदायवाद पैदा हुआ! होना यह चाहिए था की देश के शासको को भाजपा-मार्का सम्प्रदायवाद अपनाना चाहिए था ।
इस प्रकार भाजपा -आर एस एस बड़ी चालाकी से एक जटिल और पाखंडपूर्ण विचार प्रणाली के रूप में अपनीसांप्रदायिक ,विभाजनकारी विचारधारा विकसित करने की कोशिश कर रही है। उसे बड़ी चालाकी से इस प्रकार पेशकिया जा रहा है की असलियत का पता भी न चले और असली मूल दक्षिणपंथी प्रतिक्रिया का सांप्रदायिक फॉसिस्ट रूप लोगो के मस्तिष्क में घर कर जाए! इसी के लिए 'भारत' 'इंडिया' 'भारतमाता' इत्यादि का प्रयोगकिया जा रहा है,मोहरों के रूप में। - यह दक्षिणपंथी प्रतिक्रिया की विचारधारा बड़ी धूर्तता से दूसरे मतों,विश्वशो,धर्मो,आन्दोलनों पर चोट कर रही है। इनका उद्देश्य देश और राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को छिन्न भिन्न करना,उन शक्तियों में फूट डालना है। भाजपा भक्ति और सूफी आंदोलनों एवं दर्शनों का उल्लेख नही करती है। क्योंकि वे भारत की मिलीजुली सभ्यता -संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती थी।
हिटलर ने भी 'शुद्ध ज़र्मन आर्यों ' को सारी दुनिया में फ्रैलने का नारा दिया था ! श्रीलंका ,इंडोनेशिया ,जापान में हिंदू पूजा स्थलों का उल्लेख किया गया है लेकिन इस्लामी,बौध ,इसाई तथा अन्य स्थानों का नही । यह है उनका कुटुंब ! वे गुजरात और कंधमाल को सारे विश्व में फैलाना चाहते है।
'वसुधा'(धरती) की बात तो छोड़ दीजिये,भाजपा हमारे ही देश के कुटुंब को छोटा करना चाहती है। आजादी के बाद हमारे देश का मजबूत धर्मनिरपेक्ष राजनैतिक और सामाजिक ढांचा इतना गहरा तथा मजबूत है की उनके रास्ते में रोड़ा साबित हो रहा है । उसे हटाने के बाद ही सांप्रदायिक एजेंडा पूरी तरह लागू हो सकता है।
-अनिल राजिमवाले
मो- 09868525812
prabhu kripaa karke bhajpaai maarkaa ki vyaakhyaa bhee kar dijiye.
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