20.6.09

51 घंटे लंबी मुठभेड़ के बाद मारा गया डाकू



=> रात भर सोहर गायेन, सवेरे देखें तो बेटवा के औजारे नाही/खोदा पहाड़ निकली चुहिया । 500 पुलिस वाले, 51 घंट लंबी मुठभेड़, चार पुलिस वाले शहीद हुए और दर्जन भर जख्मी हुए और मारा एक डकैत । शाबाश ।

बेवजह मार डाला बेचारे घनश्याम केवट को । इतने काबिल और होनहार डकैत को जिदा पकड़ना चाहिए था । जो डाकू 51 घंटे तक अकेले एक मामूली राइफल से 500 पुलिस के जवानों को नचा सकता था वो उन्हीं पुलिस वालों और एन.एस.जी. के कमांडो को कमांडो ट्रेनिंग भी तो दे सकाता था ताकि फिर कभी मुंबई हमलों जैसे बड़े आतंकी हमले देश को न भुगतने पड़ें । इतने होनहार, वीर, लड़ाके को बेवजह मार गिराया । डाकू तो हर कहीं भरे पड़े हैं । थानों में, प्रशासन में, शिक्षा व्यवस्था में, स्वास्थ्य विभाग में, विधान सभाओं, ससंद में, कहां नहीं है डाकू । हर जगह, हर विभाग में, हर स्तर का डकैत आपको मिल जायेगा । मेरा सरकार को एक अमूल्य सुझाव है, कृपया गौर फरमायें, चंबल, चित्रकूट और दूसरी डाकूओं की नर्सरी वाले इलाकों से मंजे-मंजाये डाकू शार्ट सर्विस कमीशन पर भर्ती करलें और इनको पाकिस्तान एक्सपोर्ट कर दें अपनी बहादुरी दिखाने के लिए । पाजी पड़ोसी हमें आये दिन फिदाईन लड़ाके भेंट करता रहता है । उसको भी हमारी तरफ से प्रेम पूर्वक दिये गये तोहफों पर नाज़ होना चाहिए कि नहीं ।

2 comments:

  1. ye bharat ke liye sharm ki baat hai
    ek danku ke liye 500 pulish wale kabu nahi kar paye to kya bharat khak ladega atankbad se

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  2. कृष्ण मोहन जी, आप ने ठीक ही लिखा है असली डाकू तो कानून के घेरे में सुरक्षित हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड सकता। मेरे ख्याल से इसका एक ही इलाज है वह यह कि कुछ इमानदार जोशीले लोग अपना एक संगठन बना लें और ऐसे लोगों को खत्म कर दें। इस देश से इस गंदगी को हटाना बहुत आवाश्यक है जो कि ऐसे ही संभब है।


    सुशील कुमार पटियाल

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