18.6.09

...इनको भी तो लिफ्ट करा दे!

ऑस्ट्रेलिया में भी धधकी मुम्बई जैसी आग

सर्वेश पाठक
इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों की आए दिन पिटाई हो रही है। कब किस गली में कौन सा भारतीय छात्र आस्ट्रेलियाई लोगों का शिकार बनेगा, यह वो खुद भी नहीं जानता होगा। ऐसे में, पिछले दिनों आम चुनाव के बाद राज व उद्धव ठाकरे की एक दूसरे को लेकर बयानबाजी की याद आ जाती है, जिसमें राज ठाकरे ने कहा कि आगामी महाराष्टï्र विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्टï्र सरकार एमएनएस तय करेगी। इसके जवाब में शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्टï्र सरकार ही क्या, अब तो ब्रिटेन व विश्व के दूसरे देशों के राष्टï्राध्यक्ष और अमेरिका के राष्टï्रपति भी राज ठाकरे ही तय करेंगे।
इन वक्तव्यों में भले ही गहराई न हो और ये महज राजनीतिक लड़ाई हो, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की घटनाओं ने राज ठाकरे को यह मौका दे दिया है कि वे वहां एमएनएस कार्यकर्ताओं को भेजे और वहां आगे की सरकार सुनिश्चित कराएं! क्योंकि, वहां पिटने वाले भारतीय छात्रों में मुम्बई और महाराष्टï्र के छात्र भी शामिल हैं, जो महज शिक्षा या रोजगार के लिए वहां जा पहुंचे हैं। उन्हें पीटने वाले ऑस्टे्रलियाई भी उनसे यह नहीं पूछ रहे हैं कि 'तुम राज ठाकरे साहब की धरती के हो, या नहीं!Ó वे तो, सिर्फ 'ब्लडी इंडियंसÓ कहकर मारपीट शुरू कर दे रहे हैं। ऐसे में, राजा साहेब की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे राष्टï्र और महाराष्टï्र की रक्षा करें और वहां भारतीयों को पीटने वालों को समझाएं कि ऐसा करना कहां तक सही होगा। आखिर अलगाव वाद की यह आग तो उन्हीं का दिया विशेषण है, ऑस्ट्रेलियाई तो महज राजा साहेब की मोनोपोली को आगे बढ़ा रहे हैं।

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