एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2050 तक ग्लेशियरों के पिघलने से भारत, चीन, पाकिस्तान और अन्य एशियाई देशों में आबादी का वह निर्धन तबका प्रभावित होगा जो प्रमुख एवं सहायक नदियों पर निर्भर है।ग्लोबल वार्मिंग आज पुरे विश्व की प्रमुख समस्या बन चुकी है। यह किसी एक देश से सम्बंधित न होकर वैश्विक समस्या है ,जिसकी चपेट में लगभग सारे देश आने वाले है ।
भारतीयों के लिए गंगा एक पवित्र नदी है और उसे लोग जीवनदायिनी मानते हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि नदियों में परिवर्तन और उन पर आजीविका के लिए निर्भरता का असर अर्थव्यवस्था, संस्कृति और भौगोलिक प्रभाव पर पड़ सकता है। गंगा तब जीवनदायिनी नही रह पायेगी । बाढ़ और सूखे का प्रकोप बढ़ जाएगा ।
जर्मनी के बॉन में जारी रिपोर्ट Searh of Shelter : Mapping the Effects of Climate Change on Human Mitigation and Displacement में कहा गया है कि ग्लेशियरों का पिघलना जारी है और इसके कारण पहले बाढ़ आएगी और फिर लंबे समय तक पानी की आपूर्ति घट जाएगी। निश्चित रूप से इससे एशिया में सिंचित कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा तबाह हो जाएगा। यह रिपोर्ट एक भयावह स्थिति को प्रर्दशित करता है । समय रहते ही चेत जाने में भलाई है , नही तो हम आने वाली भावी पीढियों के लिए कुछ भी छोड़ कर नही जायेंगे और यह उनके साथ बहुत बड़ा धोखा होगा ।
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