2.6.09

बंद से क्या असर होता है ?

बंद से क्या असर होता है ? बहुतों को नहीं पता, पर उन्हें जरूर पता है जिनके घर का चूल्हा बंद वाले दिन नहीं जलता। कल कांग्रेस ने हत्या के विरोध में ग्वालियर बंद करवाया। इस दौरान मेरी कुछ ऐसे लोगों से चर्चा हुई जो रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं। उन्हे रोज रोज के बंद और हड़ताल के कारण कई कई दिन मजबूरी में उपवास रखना पड़ता है। उनका कहना था - साहब हम तो भूखे रह भी ले पर हमसे अपने बच्चों का भूखा रहना नहीं देखा जाता। हमें तो कोई किराने वाला एक दिन उधार आटा-दाल भी नहीं देता। सोचता है कि पता नहीं कैसे चुकायेगा और कितने दिन में चुकायेगा।
वाकई कोई इनके बारे में तो सोचता ही नहीं। बंद करने वालों को बंद करना है, हड़ताल वालों को हड़ताल। सभी जानते हैं कुछ अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने के लिए ये सब करते हैं तो कुछ बेचारे व्यवस्थाओं से परेषान हो कर, आक्रोषित होकर ऐसा करते हैं। राजनीतिक रोटियाँ सेकने वालों से तो कहें क्या? उन्हे तो गरीब जनता से वैसे भी कोई लेना देना नहीं हैं। लेकिन उन से तो थोड़ी सी अपेक्षा रहती है जो व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए, प्रषासन पर दबाब बनाने के लिए यह सब करते हैं। पर कोई इस ओर ध्यान ही नहीं दे पाता कि बंद के दौरान कितने लोग अपने और अपने बच्चों के पेट की आग पानी से बुझायेंगें, कैसे वो छोटे-छोटे बच्चों को बहलायेंगें, भूखे पेट उन्हें कैसे सुलायेगें ? कल उस मजदूर के चेहरे पर परेषानी के भाव अगर ये हड़ताली देख लेते तो शायद फिर कभी हड़ताल न करते। उस मजदूर के सामने यही समस्या थी कि कैसे वो खाली हाथ जाये। घर पर वो कैसे अपनी पत्नी को समझायेगा, चलो पत्नी तो समझ भी जायेगी। बच्चों को क्या कह कर समझायेगा। उसका मन यह सब सोच कर परेशान हो रहा था।
ग्वालियर बंद के दौरान -
हत्या के बंद के दौरान एनएसयूआई का गुस्सा कई लोगों पर उतरा। जिनका न तो कोई संबंध इस हत्या से था और नगर प्रशासन से। वे तो खुद नगर में फैली अव्यवस्था से
परेशान थे। बंद के दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्त्ता फूलबाग पर खड़े पौहा के ठेले पर लाठी - डण्डे के साथ टूट पड़े। उसका सारा पौहा खराब कर दिया। एक आॅटो में वृद्ध महिला व बच्चे सवार थे इन हुडदंगियों को यह भी रास नहीं आया। उन्होने आॅटो को रोका उसके कांच फोड़ दिये और उस वृद्ध महिला और बच्चों को भरी दोपहर में पैदल भगा दिया। एजी आॅफिस के सामने एक यात्री बस को रोककर तोड़फोड़ की।
मै अक्सर यही सोचता हूँ इस तरह के बंद का क्या मतलब है? आप किसी परेषानी की वजह से बंद का आवाहान कर रहे हैं अच्छी बात है। पर इतना नहीं समझ में आता क्या आप बंद के दौरान जो जो करते हैं उससे किसी को तकलीफ नहीं होती क्या ? कुछ अपराधी जो छुप - छुप कर कर रहे थे वह सब आप बंद के नाम पर खुले आम कर रहे हैं। बंद करो, प्रशासन पर दबाव बनाओ पर गरीब जनता को तो तकलीफ न पहुंचाओ।

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