29.6.09

बनाने वाले…………

बर्तन बिखरे हुए, सड़क किनारे
चुल्हे पे है रोटी पकती, सड़क किनारे
रात मे वो एक होते, सड़क किनारे
दिन का सूरज, सड़क किनारे
रात मे चान्द, सड़क किनारे
आना-जाना
खाना-पीना
लडाई-झगड़े
सब कुछ इनका, सड़क किनारे

ये महानगरों के सडक बनानेवाले हैं!

No comments:

Post a Comment