-दिनेश शाक्य-
बीएसपी मुखिया उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और कांग्रेस के बीच जारी वाक् युद्घ बढता ही चला जा रहा है,कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले राहुल गांघी ने बीएसपी मुखिया मायावती को आडे हाथों लिया कि उत्तर प्रदेश के विकास के बजाय मूर्तियों का विकास करने में जुटी हुयी है मायावती,कांग्रेस प्रदेश प्रमुख रीता बहुगुणा जोशी की मुरादाबाद में गिरफ्तारी के बाद राहुल ने यह बल कर कि मायावती को निशाने पर रखा है,अब जाहिर है कि कांग्रेस कि ओर से फेंकी गयी गेंद पर बीएसपी मुखिया को हिट करना ही था सो दो दिन बाद मायावती कि ओर से जो जबाब आया,उसी के इर्द गिर्द घूमती है कहानी ,मायावती के जबाब को यहाँ पर हु बहु उल्लेखित करना बेहद जरुरी है,मायावती ने बोलो कि बीएसपी सरकार कि उपलव्धियों कि किताब युवराज ओर कांग्रेस के विधायकों व सांसदों को भेजी जायेगी ,जिसे पड कर वह सच्चाई जान सकेगे कि स्मारकों व मूर्तियों पर पैसा बर्बाद का आरोप लगाने वाली कांग्रेस अपने राज में कितने ही स्थानों पर मूर्तियों तथा स्मरक बनबती रही है ,कांग्रेस के मुकाबले बीएसपी सरकार ने आटे में नमक के बराबर मूर्तियों लगाने का काम किया है तो विकास बाधित होने कि बात कही जाती है ,सच यह है कि उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थापित सारे स्मारक व मूर्तियों से ज्यादा कीमत तो अकेले दिल्ली में राजघाट में है ,पर इसमें कांग्रेस की दलित विरोधी मानसिकता उजागर हो जाती है,दिल्ली के राजघाट की तुलना लखनऊ के अम्बेडकर पार्क से करना कही भी न्यायोचित समझ नही आ रहा है,असल में राजघाट रास्ट्रपिता महात्मा गाँधी का समाधी स्थल है जब कि लखनऊ के अम्बेडकर पार्क में मायावती ओर कांशीराम कि मूर्तियों को स्थापित कराया गया है,अब मायावती को कौन समझाए कि राजघाट ओर अम्बेडकर पार्क में क्या फर्क है ,जिसे आसानी से समझा जा सकता है,हो ना हो शायद मायावती ने अपने मन में यह वहम पाल रखा हो कि वे लखनऊ के अम्बेडकर पार्क को दिल्ली के राजघाट अपने लिए बना सकती है ,इस बात को खुद समझा जा सकता है कि राजघाट कि तुलना कर मायावती क्या बताना चाह रही है,यहाँ इस बात को भी साफ किया जा सकता कि मायावती ने अपने ये विचार जाहिर करके एक बात बता दी है की मायावती निकट भविष्य अम्बेडकर पार्क को राजघाट कब बनाएगी ?
लेखक दिनेश शाक्य सहारा समय के इटावा के रिपोर्टर हैं। इनसे संपर्क dinesh.sahara@gmail.com के जरिए किया जा सकता है।
aapse sahmat hun or vartmaan mein aesa lagta hain ki dr ambedkar ka kad chhota karne ki kosis mein apni murtiya bhi dadalle se lagawai jaa rahi hain
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