{देश की उर्जा राजधानी में महज एक सप्ताह के भीतर अलग अलग हुए विस्फोट में लगभग ४२ जाने गई हैं ,देश की उर्जा जरूरतों को पुरा करते करते थक चुकी सोनभद्र -सिंगरौली पट्टी ,जिसका नाम भी बहुतों ने नही सुना होगा ,फ़िर भी सुर्खियों में नही है |मेरी ये पोस्ट वहां की स्थिति का विश्लेषण कर रही है ,ये आज हिन्दी दैनिक 'डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट' में प्रकाशित भी हुई है ,इसे आप मेरे ब्लॉग katrane.blogspot.com पर भी पढ़ सकते हैं }
-आवेश तिवारी
पंडित नेहरु का स्विट्जरलैंड आज बारूद के ढेर पर बैठा है , एशिया के सबसे बड़े एनर्जी पार्क में प्रतिदिन ४० से ५० टन जिलेटिन रोड्स और लगभग १.५ लाख खतरनाक डिटोनेटर का इस्तेमाल हो रहा है ,इन विस्फोटकों की चपेट में आकर प्रति माह औसतन ३ से ४ मौतें हो रही हैं ,भूगर्भ जलस्तर रसातल में चला गया है ,वहीँ समूचा पारिस्थितिक तंत्र छिन्न भिन्न हो गया है ,शायद इस बात पर यकीं करना कठिन हो मगर ये सच है कि सोनभद्र सिंगरौली पट्टी आतंकवाद की नयी चुनौतियों से जूझ रहे देश में गैरकानूनी बारूदों की खरीद फरोख्त का सबसे बड़ा केंद्र बन गयी है ,शर्मनाक ये है कि ये सारा गोरखधंधा उत्तर प्रदेश सरकार ,सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की जानकारी में फल -|फूल रहा है |विस्फोटकों के इस गोरखधंधे में जहाँ नवधनाड्यों की फौज तैयार हो रही हैं ,वहीँ मंत्री से लेकर संतरी तक लाल हो रहे हैं |स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों जब एक ट्रक से जब लगभग ४० टन अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ तो एकबारगी हड़कम मच गया लेकिन महज तीन दिनों बाद ही पुलिस की मिलीभगत से गैरकानूनी अमोनियम नाइट्रेट की आमद फिर से शुरू हो गयी |आज आलम ये है की सारे विस्फोटक गाजर मूली की तरह यहाँ के खनन क्षेत्र में बेचे जा रहे हैं ,न सिर्फ बेचे जा रहे हैं, बल्कि इनकी क्षमता से अनभिज्ञ मजदूरों से इनका इस्तेमाल कराया जा रहा है | ये सब कुछ तब है जब खुद प्रधानमंत्री कार्यालय इस पर अपनी आपति दर्ज करा चूका है |मौजूदा समय में बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र की लगभग ३०० अवैध खदानों में गैर कानूनी विस्फोटकों का इस्तेमाल हो रहा है,जो अंतर्राज्यीय तस्करों के माध्यम से यहाँ पहुंचाए जा रहे हैं ,सिर्फ इतना ही नहीं यहाँ मौजूद लाइमस्टोन ,.डोलोमाईट और कोयलों की खदानों में विस्फोटकों के सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर भी किसी प्रकार की कोई कवायद नहीं चल रही है ,पिछले एक सप्ताह के दौरान बैढन और बिल्ली मारकुंडी में घटी अलग अलग घटनाएँ इसका सबूत हैं |
अगर आप सोनभद्र पहली बार आ रहे हैं तो यहाँ के खनन क्षेत्रों का दौरा जरुर कीजिये ,अगर आपको हाथ में डिटोनेटर लेकर घूमते बच्चे नजर आ जाएँ तो आश्चर्य मत करियेगा ,मजदूरों की झोपडियों में आपको बोरे में रखा अमोनियम नाइट्रेट मिलेगा ,वहीँ खदानों में माइनिंग जाल बिछाती आपको महिलायें नजर आएँगी ,एक्टिविस्ट को जानकारी मिली है कि यहाँ की खदानों में जितने भी लोगों को विस्फोटक नियंत्रक कार्यालय ,आगरा से लाइसेंस निर्गत किये गए हैं उन सभी ने लाइसेंस प्राप्त करने की निर्धारित योग्यता पूरी नहीं की है |कमोवेश यही हाल सिंगरौली क्षेत्र का भी है ,जहाँ रेवड़ियों की तरह कारखानों को लाइसेंस बांटे गए हैं|
मिनी भोपाल कहे जाने वाले सोनभद्र सिंगरौली पट्टी में कथित विकास की होड़ में घातक उद्योगों को नियमों का उल्लंघन करके अनुमति दी जा रही है ,पहले कनोडिया केमिकल ,फिर बैढन और बार -बार बिल्ली -मारकुंडी खनन क्षेत्र ,विस्फोटों से होने वाली अकाल मौतें और उसके एवज में काली कमाई सोनभद्र की नियति है |अकेले सोनभद्र पुलिस सालाना खनन क्षेत्रों और बारूद विक्रेताओं से ५से १० करोड़ रुपयों की वसूली करती है ,न सिर्फ वसूली करती है धर पकड़ की धमकी देकर साझेदारी भी हथियाई जाती है |मुलायम सिंह के शासनकाल में जब नरकती में पी ए सी की गाडी पर हमले के बाद यहाँ के खनन क्षेत्र से नक्सलियों को विस्फोटकों की आपूर्ति का खुलासा हुआ था तब गृह मंत्रालय की पहल पर ,विस्फोटकों के प्रयोग के नियमन की कोशिशें की गयी थी ,लेकिन सत्ता प्रवर्तित होते ही सब कुछ बदल गया ,समूचे खनन क्षेत्र पर मंत्रियों विधयाकों के रिश्तेदारों ,माफियाओं और दबंगों का कब्जा हो गया ,अवैध खनन बढा ,साथ में गैर कानूनी विस्फोटकों का इस्तेमाल भी |
इस पूरे मामले का दूसरा पहलु उद्यमियों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों द्वारा बरते जाने वाली लापरवाही से जुडा है ,नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए जैसे तैसे बारूद का प्रयोग किया जाता है ,समूचे खनन क्षेत्र में कहीं भी नियमानुकूल मैगजीन की स्थापना नहीं की गयी है ,आलम ये है कि वैध खनन करने वाले भी अवैध बारूद इस्तेमाल करते हैं |
उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष ३४हजार डेटोनेटर ७०० किलोग्राम विस्फोटक सामग्री और ३४ टन अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया था बरामद की गयी ज्यादातर सामग्री सोनभद्र के खनन क्षेत्रों से सम्बंधित थी जो कि आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के रास्ते यहाँ लायी गयी थी | मुंबई हमले के बाद पूरे देश में अमोनियम नाइट्रेट पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया लेकिन सोनभद्र के खनन क्षेत्र में इसकी गैर कानूनी आवक का दौर नहीं रुका, महत्वपूर्ण है कि अब चोरी छपे बेचे जा रहे अमोनियम नाइट्रेट के बोरों पर कनाडा की एक कंपनी की सील लगी रहती है |पुलिस अधीक्षक सोनभद्र से जब अमोनियम नाइट्रेट की बिक्री और विस्फोटकों की गैर कानूनी आवक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया|कुछ वर्ष पूर्व तक खनन क्षेत्र में विस्फोटकों के लाइसेंस धारकों के स्टॉक रजिस्टर की समय समय पर पुलिस खुद जांच करती थी,l लेकिन सत्ता परिवर्तन के साथ साथ ये कवायद भी ख़त्म हो गयी |आज हालत ये हैं कि लगभग ३०० की संख्या में चल रही अवैध खदाने पूरी तरह से इन गैरकानूनी ढंग से आने वाली विस्फोटकों की आमद पर टिकी है |
---|
दोपहर के १२ बजते ही वाराणसी शक्तिनगर मुख्य मार्ग पर रफ्तनी रुक जाती है ,सड़कों पर बैरिकेटिंग लगाये खनन माफियाओं के गुर्गे लाल झंडा टांग कर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं उधर खनन क्षेत्र में काम करने वाले लगभग ५० हजार मजदूर अपने बच्चों को लेकर या तो दूर खुले आस्मां के नीचे निकल जाते हैं या फिर खनन क्षेत्र के बाहर कड़ी गाड़ियों की ओट ले लेते हैं ,उधर प्रशिक्षित अप्रशिक्षित ब्लास्टर की सीटियों के साथ शुरू होता है विस्फोटों का दौर ,लगभग २ घंटे तक पूरा खनन क्षेत्र धमाकों से गूंजता रहता है ,पत्थरों के छोटे बड़े टुकड़े कभी आस पास की इमारतों पर ,तो कभी सड़क चलते राहगीरों को और अक्सर पत्थर तोड़वा मजदूरों को अपनी चपेट में ले लेते हैं ,फिर भी ये क्रम नहीं रुकता | खनन मजदूर संगठन के नेता डा.सरोज कहते हैं सब कुछ नियम विरूद्व है क्या क्या रोकेंगे आप ?देश में ये एक मात्र जगह है जहाँ राजमार्ग जाम करके ब्लास्टिंग करायी जाती है |चूँकि सब कुछ इतना लापरवाही पूर्ण होता है कि दुर्घटना की सम्भावना हमेशा बनी रहती है ,यूँ तो खनिज नियमावली में आबादी के आस पास के इलाकों में ब्लास्टिंग पूरी तरह से प्रतिबंधित है लेकिन सोनभद्र के परिप्रेक्ष्य में कोई नियम कानून काम नहीं करता ,राजमार्ग के किनारे विस्फोटन को लेकर भी किसी के पास कोई जवाब नहीं है ,लेकिन जब सरकार खुद ही सड़क किनारे पट्टे की इजाजत दे तब आप क्या करेंगे ?इतना ही नहीं पूरे खनन क्षेत्र में नियंत्रित विस्फोट करने के बजाय भारी विस्फोट किया जाता है , इन सब का खामियाजा अगर गरीब मजदूर भुगतता है तो किसी का क्या बिगड़ता है ? |
---|
आवेश जी,
ReplyDeleteआपके लेख के द्वारा इस खतरनाक स्थिति की सम्पूर्ण जानकारी मिली| आपका लेख सदैव ऐसी स्थिति की समीक्षा करता है जिसमे न सिर्फ घटना की जानकारी होती बल्कि कारण और कुपरिणाम भी होता| बहुत बेबाकी से आप स्थिति का जायजा लेकर समीक्षात्मक रिपोर्ट पेश करते हैं, जो पत्रकारिता के लिए तो आवश्यक है हीं जनता की जागरूकता केलिए भी आवश्यक है| दलितों का मसीहा कहने वाली सरकार का असली चेहरा यूँ तो किसी से छुपा नहीं, परन्तु आपके इस तथ्यपरक रिपोर्ट से शायद सरकार की अकर्मण्यता के विरुद्ध जनता की ख़ामोशी टूटे और एक जन-आन्दोलन का रूप ले| एक सराहनीये लेख के लिए बहुत बधाई और शुभकामनायें|
....घर के लोग ही घर को उडाने की हर सम उडाने की कोशिश में लगे है
ReplyDeleteएक खौफनाक सच से रूबरू करवाने के लिए आवेश को बधाई