29.7.09

शराबबंदी करने ये कैसा कानून

राज कुमार साहू, जांजगीर छत्तीसगढ

गुजरात सरकार ने शराबबंदी करने विधानसभा में एक विधेयक पारित किया है, जिसमें कहा गया है की अवैध शराब बिक्री करने वाले को कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। जिसमें मौत की सजा भी हो सकती है। पिछले दिनों हुई ह्रदय विदारक घटना ने पूरे देश के लोंगों को झकझोर कर रख दियाइस घटना के पहले क्या गुजरात सरकार द्वारा अवैध शराब बिक्री को रोकने क्यों प्रयास नहीं किया गया। यह एक यक्ष प्रश्न बनकर सरकार के सामने खड़ी हो गई है। जाँच में यह बात सामने आई है की गुजरात में अवैध शराब बनाने व बेचने का कारोबार लंबे समय से जारी था।
गुजरात में पिछले दिनों सवा सौ से भी ज्यादा लोग जहरीली शराब की चपेट में आकर असमय ही काल कलवित हो गए। शायद सरकार अवैध शराब बिक्री पर रोक लगा लेती तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। अब सरकार की खिंचाई विपक्ष द्वारा करने पर सरकार ने एक विधेयक पारित किया है, जिसमें अवैध शराब बिक्री करने वाले को मौत की सजा भी ही सकती है। क्या शराब बंदी करने ऐसा कानून बनाये जाने की जरुरत है, क्योंकि यह इसे रोकने का कारगर उपाय नजर नहीं आता। इससे पहले ही अवैध शराब बिक्री को लेकर कानून बने हुए है। कानून बनाने के बजाय लोगों में जन जागरूकता लाने की ज्यादा जरुरत है।
समाज में शराबखोरी किसी कोढ़ की बीमारी से कम नहीं है, जो समाज को धीरे धीरे खोखला करती जा रही है। नशाखोरी से समाज में अपराध भी बढ़ रहे हैं। लोगों की जान अलग जा रही है। समाज में अशांति भी फैला रही है।
गुजरात सरकार को शराबखोरी रोकने लोंगों को जागरूक ज्यादा जरुरी है। जब लोग शराब के नुकसान के बारे में समझ जायेंगे तो वे ख़ुद ही समाज की विकृति से दूर हो जायेंगे।
छत्तीसगढ़ में भी शराबखोरी चरम पर है। सरकार को शराब ठेके से अरबों रूपये मिलते हैं, क्या मतलब ऐसे राजस्व का जिससे लोंगों की जान पर बन आ रही है। समय रहते प्रदेश में भी शराब खोरी के खिलाफ पहल होनी चाहिए, क्योंकि यही हाल रहा तो समाज में अराजकता फैलते देर नहीं लगेगी। समाज में शराबखोरी की बढती प्रवित्ति सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे परिवार भी तबाह हो रहे हैं, कोई मजदूर तबका का व्यक्ति अपनी दिन भर का कमी शराब में उदा रहा तो उसकी परिवार की हालत क्या होगी अंदाजा लगाया जा सकता है। गरीबी के चलते ऐसे लोगों के परिवार के बच्चे शिक्षा से भी वंचित होते जा रहे है और वे अपराध में भी संलिप्त हो रहे है।
अब यहाँ हमें सोचना चाहिए की हम कैसी पीढी तैयार कर रहे हैं, जिसे बचपन में ही नशा का जंग लग जा रहा है। इस बारे में चिंतन की जरुरत है, आपको भी और हमें भी। इसमें सरकार की प्रमुख दायित्व बनता है की वे जनता के हित में सोचे।

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